चैनपुर. सुशांत सिंह राजपूत के मामले में अगर बिहार पुलिस एफआइआर नहीं करती, तो सुशांत केस के जांच के दौरान ड्रग्स का मामला सामने नहीं आता. बिहार पुलिस के एफआइआर का ही नतीजा है कि सुशांत की मौत मामले में हर रोज नयी-नयी बातें जांच में सामने आ रही है. उक्त बातें बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने रविवार को हरसू ब्रह्म धाम में पूजा अर्चना के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान कहीं.
दरअसल, रविवार को डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय पूजा-अर्चना करने के लिए चैनपुर बाजार स्थित हरसू ब्रह्म मंदिर परिसर पहुंचे. यहां समिति द्वारा अंग वस्त्र व प्रतीक चिह्न भेंट कर उन्हें सम्मानित किया गया. डीजीपी के आने की सूचना पर दो महीने से बंद मंदिर को प्रशासन द्वारा समिति से मिल कर खुलवाया गया. डीजीपी ने मंदिर के चौखट से ही बाबा को नमन किया. समिति के सदस्यों द्वारा उन्हें अंदर ले जाने की कोशिश की गयी. लेकिन, सरकार की गाइडलाइन के अनुसार मंदिर में प्रवेश करने से मना कर दिया गया.
पत्रकारों से बातचीत करने के दौरान डीजीपी ने कहा कि यदि बिहार पुलिस एफआइआर नहीं करती, तो सुशांत केस में ड्रग्स मामले का खुलासा नहीं होता. सुशांत बिहार के बेटे थे और भारत की शान थे. उनकी 14 जून को बहुत ही रहस्यमय तरीके से मौत होती है. इकलौते बेटे की मौत के गम में टूट चुके एक बूढ़े, बीमार व लाचार पिता तो डेढ़ महीने बाद बिहार पुलिस के पास आये और बोले कि इसमें बहुत बड़ी साजिश है और इसमें कई बड़ी हस्ती जिम्मेदार हैं.
उन्हीं के स्टेटमेंट पर बिहार में मुकदमा दर्ज किया गया और टीम का गठन कर मुंबई भेजा गया. बिहार सरकार द्वारा सुशांत मामले को सीबीआई से जांच कराने के लिए भारत सरकार से अनुशंसा की गयी है. इसके बाद उक्त मामले की जांच सीबीआई के माध्यम से हो रही है.
इधर, डीजीपी ने बताया कि वह आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए विधि व्यवस्था की समीक्षा के लिए आये थे. उन्होंने बताया कि डीआइजी व एसपी के साथ उनकी बैठक भी हुई. इसमें चुनाव को लेकर चर्चा की गयी. डीजीपी ने बिहार में इस बार पूरी तरह निष्पक्ष व शांतिपूर्ण ढंग से मतदान का दावा किया गया.
posted by ashish jha