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Diwali 2023: Gold ETF या Sovereign Gold Bonds कौन सा निवेश है बेहतर? किस पर मिलेगा ज्यादा रिटर्न

Diwali 2023: लोग फिजिकल गोल्ड खरीदने के साथ डिजिटल गोल्ड की खरीदारी करने में विशेष रुचि दिखा रहे हैं. ऐसे में Gold ETF और Sovereign Gold Bonds के बीच कंफ्यूज हो जाते हैं कि कौन सा निवेश उनके लिए ज्यादा फायदेमंद है. किस निवेश पर उन्हें ज्यादा रिटर्न मिलेगा.

Diwali 2023: दिवाली को लेकर सोने-चांदी के व्यापार में तेजी देखने को मिल रही है. लोग जमकर दिवाली की शॉपिंग कर रहे हैं. ऐसे में आप भी सोने में निवेश (Gold Investment) का मन बना रहे हैं तो आपके लिए बाजार में कई विकल्प हैं. लोग फिजिकल गोल्ड खरीदने के साथ डिजिटल गोल्ड की खरीदारी करने में विशेष रुचि दिखा रहे हैं. ऐसे में Gold ETF और Sovereign Gold Bonds के बीच कंफ्यूज हो जाते हैं कि कौन सा निवेश उनके लिए ज्यादा फायदेमंद है. किस निवेश पर उन्हें ज्यादा रिटर्न मिलेगा. सोने में निवेश करने वालों के लिए साल 2007 में गोल्ड ईटीएफ की शुरुआत की गयी थी. इसमें निवेश करने वालों की संख्या अचानक से कोविड काल में बढ़ गयी. साल 2020 में ईटीएफ निवेशकों की संख्या 4.61 लाख हो गयी थी. वहीं, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सरकार द्वारा जारी किया जाता है. इसमें निवेशक को बाजार में सोने के भाव के अनुसार, निवेश पर रिटर्न मिलता है. अगर, आपको लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो आपके लिए Gold ETF या Sovereign Gold Bonds (SGB) दोनों अच्छा है. हालांकि, ध्यान देने की बात है कि सोने की कीमतों में थोड़ा इजाफा देखने को मिल रहा है. इसलिए इसमें निवेश करने से पहले किसी वित्तीय सलाहकार से जानकारी ले लें. डिजिटल गोल्ड में निवेश भी बाजार जोखिम के अंतर्गत है.

फिजिकल गोल्ड से डिजिटल गोल्ड बेहतर

फिजिकल गोल्ड में निवेश करने से बेहतर है कि आप डिजिटल गोल्ड में निवेश करें. इसका सबसे बड़ा कारण है कि फिजिकल गोल्ड को मेंटेन करने के लिए अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ती है. वहीं, इसके खो जाने और चोरी होने का डर लगा रहता है. इसके साथ ही, फिजिकल गोल्ड की खरीदारी के वक्त आप टैक्स देते हैं, जबकि, इसमें निवेश का पैसा निकालने के लिए जब आप गोल्ड सेल करते हैं तो गोल्ड की करेंट वैल्यू आपको मिलती है. यानी आपको अपने टैक्स का नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में मन में सवाल उठता है कि फिर डिजिटल गोल्ड में भी गोल्ड ईटीएफ और Sovereign Gold Bonds में कौन सा निवेश का विकल्प बेहतर है. Gold ETF में निवेश करने से ज्यादा रिटर्न Sovereign Gold Bonds पर मिलता है. एसबीजी पर सालाना करीब 2.5 प्रतिशत ब्याज मिलता है. अच्छी बात ये है कि इस बॉन्ड को रखने पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. इसे आप फिजिकल गोल्ड में नहीं बदल सकते हैं. इसमें अधिकतम आठ वर्ष तक के लिए निवेश किया जा सकता है. हालांकि, दोनों गोल्ड स्कीम में निवेश करने के लिए डीमेट अकाउंट (Deamat Account) का होना जरूरी है. गोल्ड ईटीएफ में निवेश की कोई सीमा नहीं होती. अगर, आप लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं तो ये आपके लिए सबसे बेहतर है.

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Gold ETF क्या होता है?

Gold ETF (Exchange-Traded Fund) एक वित्तीय उपकरण है जिसका उद्देश्य सोने की मूल्य वृद्धि का लाभ उठाना है. ये उपकरण विभिन्न वित्तीय बाजारों में उपलब्ध होते हैं और निवेशकों को सोने की कीमत की वृद्धि या घटने का लाभ देने का प्रबंधन करते हैं. गोल्ड ETF की मुख्य विशेषता यह है कि वे वास्तविक सोने के बराबर होते हैं और उनका नेट निवेशी संपत्ति के रूप में लाभ उठा सकता है, जब सोने की मूल्य बढ़ती है. यह एक लिखित वादा है कि गोल्ड ETF के इकाइयों का सम्मान सोने के बराबर होगा. निवेशक गोल्ड ETF को खरीदने और बेचने के लिए विभिन्न वित्तीय बाजारों में जा सकते हैं जैसे कि शेयर बाजार या एक विशेष वित्तीय संस्था के माध्यम से. इसके अलावा, गोल्ड ETF निवेशकों को सोने की रकम के निवेश के लिए रक्षा और सुरक्षा प्रदान करते हैं क्योंकि उन्हें वास्तविक सोने को संभालने और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी नहीं होती है. गोल्ड ETF के निवेश से जुड़े जो भी लाभ होते हैं, उन्हें प्राप्त नहीं किया जाता है या उन्हें न सोने के रूप में लिया जा सकता है. इसके बजाय, निवेशकों को नगद वस्त्र में अधिग्रहण करने का विकल्प होता है.

सवरिन गोल्ड बॉन्ड क्या होता है?

सवरिन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) एक सरकारी वित्तीय योजना है जिसमें भारत सरकार सोने के मौद्रिक मूल्य की वृद्धि का लाभ उठाती है और निवेशकों को ब्याज देती है. सोने की सालाना कीमत के आधार पर इसमें आपको रिटर्न मिलता है. ये बॉन्ड निर्धारित अवधि के लिए उपलब्ध होते हैं और उन्हें भारत सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं. इन बॉन्डों को खरीदने का मूल उद्देश्य इन्फ्लेशन से बचाव और सोने के मूल्य की वृद्धि का लाभ उठाना है.

सवरिन गोल्ड बॉन्डों के कुछ विशेषताएं:

1. सोने के बराबर: इन बॉन्डों की मूल्यवृद्धि सोने के मूल्य के साथ सम्बंधित है, जिससे निवेशकों को सोने के बराबर का लाभ होता है.

2. ब्याज: ये बॉन्ड नियमित ब्याज देते हैं, जिसका लाभ निवेशकों को प्राप्त होता है.

3. आवदेन प्रक्रिया: इन बॉन्डों को आवेदन करने के लिए विशिष्ट अवधि और तरीके होते हैं, जो भारत सरकार द्वारा निर्धारित की जाती हैं.

4. व्यापक बाजार: ये बॉन्ड विभिन्न वित्तीय बाजारों में उपलब्ध होते हैं और निवेशक उन्हें वहां से खरीद सकते हैं.

5. रिडीम्प्शन: सवरिन गोल्ड बॉन्ड निवेशकों को निश्चित अवधि के बाद उनके मौद्रिक मूल्य पर वापस करने का विकल्प देते हैं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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