बिहार पुलिस हो गई फास्ट, कोई भी समस्या हो तो मिनटों में पहुंचेगी आपके पास, एक साल पहले शुरू हुई थी सेवा
बिहार में डायल 112 सेवा की शुरुआत के पहले छह महीने तक हर महीने हर दिन औसतन 842 कॉल रजिस्टर्ड होते थे, जिन पर की गयी कार्रवाई का औसत रिस्पांस टाइम 51 मिनट होता था. हालांकि जनवरी से हर महीने कॉल की संख्या में इजाफा होने के साथ ही औसत रिस्पांस टाइम भी घटा है.
पटना. छह जुलाई 2022 से शुरू हुई इआरएसएस (इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम) की डायल 112 सेवा की टीम अब सिर्फ 34 मिनट में ही फोन करने वाले के पास पहुंच जायेगी. छह महीने पहले तक प्रत्येक कॉल का औसत रिस्पांस टाइम 51 मिनट था, जिसमें सुधार कर इसे 34 मिनट तक लाया गया है. यही नहीं, पिछले छह माह के मुकाबले रजिस्टर्ड होने वाले कॉल की संख्या भी 26 हजार से बढ़ कर 95 हजार तक पहुंच गयी है. इसके माध्यम से अब तक करीब 4.50 लाख लोगों को आकस्मिक सहायता पहुंचायी जा चुकी है. इस इमरजेंसी नंबर पर हर दिन लगभग तीन हजार कॉल रजिस्टर हो रहे हैं. इस काम में 400 इआरवी (इमरजेंसी रिस्पांस व्हेकिल) सहित बड़ी संख्या में मानवबल को लगाया गया है.
पिछले साल छह जुलाई को शुरू हुई थी डायल 112 की सेवा
बिहार पुलिस के एडीजी (मुख्यालय) जितेंद्र सिंह गंगवार ने सोमवार को बताया कि छह जुलाई 2023 को बिहार में डायल 112 सेवा का एक साल पूरा हो जायेगा. यह सेवा आम जनों को आपात परिस्थितियों, आपदा या आकस्मिक संकट की स्थिति में फौरन सहायता देती है. सेवा की शुरुआत के पहले छह महीने तक हर महीने डायल 112 पर हर दिन औसतन 842 कॉल रजिस्टर्ड होते थे, जिन पर की गयी कार्रवाई का औसत रिस्पांस टाइम 51 मिनट होता था. हालांकि जनवरी से हर महीने कॉल की संख्या में इजाफा होने के साथ ही औसत रिस्पांस टाइम भी घटा है. एडीजी ने बताया कि इआरएसएस के पहले चरण का प्रबंधन और आधारभूत व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने के बाद अब दूसरे चरण की तैयारी की जा रही है.
सामान्य विधि व्यवस्था के पहुंच रहे 44 फीसदी मामले
एडीजी (मुख्यालय) ने बताया कि इआरएसएस पर रजिस्टर्ड हुए 4.50 लाख में सबसे अधिक 44 फीसदी मामले सामान्य विधि-व्यवस्था, 16 फीसदी घरेलू हिंसा और 15 फीसदी सड़क पर न्यूसेंस फैलाने से संबंधित रहे. इनके अलावा चिकित्सा आपदा के 04 फीसदी, अग्निकांड के दो फीसदी, गुप्त सूचना के तीन फीसदी और अन्य मामलों के नौ फीसदी मामले दर्ज किये गये. उन्होंने बताया कि इमरजेंसी नंबर पर गुप्त सूचनाएं मिलने से अपराध को नियंत्रित करने और अपराधियों को पकड़ने में काफी मदद मिल रही है.