पटना. जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला प्रोग्राम पदाधिकारियों ने 2019 में विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं मसलन मेधा छात्रवृत्ति एवं कन्या उत्थान योजना आदि के मद में बांटी गयी अरबों की राशि का हिसाब अभी तक शिक्षा विभाग और कल्याण विभाग को नहीं दिया है.
दरअसल दो साल से इस राशि के उपयोगिता प्रमाण की मांग सभी जिलों से की जा रही है. शिक्षा विभाग इसके लिए तीन बार सख्त आधिकारिक पत्र जारी कर चुका है.
लिहाजा अब विभाग ने ऐसे अफसरों पर विभागीय कार्यवाही करने के लिए आरोप पत्र गठित करने का निर्णय लिया है. हालांकि इससे पहले सभी डीइओ और डीपीओ को एक हफ्ते का और समय दिया गया है.
माध्यमिक शिक्षा निदेशक गिरिवर दयाल सिंह ने पत्र में साफ कर दिया है कि अगर एक सप्ताह के अंदर उपयोगिता प्रमाणपत्र कोषांग में जमा नहीं कराये गये, तो योजना एवं लेखा के जिला कार्यक्रम अधिकारियों (डीपीओ) एवं जिला शिक्षा पदाधिकारियों (डीइओ) को लापरवाह मानते हुए कार्रवाई की जायेगी.
उन्होंने कहा कि यह मामला पूरी तरह वित्तीय अनियमितता का माना जायेगा. माना जायेगा कि इस राशि का दुरुपयोग किया गया है.
जानकारी के मुताबिक चार जनवरी को प्रधान सचिव संजय कुमार ने विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं के संदर्भ में एक समीक्षा बैठक रखी थी. इस दौरान उन्होंने उपयोगिता प्रमाणपत्र लंबित होने को गंभीर लापरवाही मानते हुए सख्त नाराजगी जाहिर की थी.
फिलहाल जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को जारी पत्र में बताया गया है कि उपयोगिता प्रमाणपत्र जारी न करने वाले जिलों में अधिकतर जिले शामिल हैं. अपवाद स्वरूप केवल कुछ ही जिले ऐसे हैं, जिन्होंने प्रोत्साहन राशि का हिसाब उपयोगिता प्रमाणपत्र के रूप में विभाग को दिया है.
Posted by Ashish Jha