14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार में 47 वर्षों से नहीं हुई एसोसिएट प्रोफेसर्स की सीधी भर्ती, पांच साल में तीन गुना बढ़े अस्थायी शिक्षक

ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआइएसएचइ) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018-19 में इनकी संख्या 4134 थी. वर्ष 2021-22 में इनकी संख्या घट कर 3691 रह गयी. साफ है कि हर साल 100 रीडर्स और एसोसिएट प्रोफेसर्स घट रहे हैं. वर्ष 2022-23 में इनकी संख्या और घटी है.

राजदेव पांडेय ,पटना. राज्य के सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की जबरदस्त कमी है. इनकी संख्या पिछले कुछ सालों से लगातार घटी है. उदाहरण के लिए रीडर और एसोसिएट प्रोफेसरों की संख्या में लगातार कमी आ रही है. ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआइएसएचइ) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018-19 में इनकी संख्या 4134 थी. वर्ष 2021-22 में इनकी संख्या घट कर 3691 रह गयी. साफ है कि हर साल 100 रीडर्स और एसोसिएट प्रोफेसर्स घट रहे हैं. वर्ष 2022-23 में इनकी संख्या और घटी है. इसके आंकड़े कुछ ही महीनों में सामने आने वाले हैं. इधर राज्य के परंपरागत विश्वविद्यालयों में करीब 4000 सहायक प्राध्यापकों की कमी है. ऐसे में राज्य की उच्च शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई की बात बेमानी होती जा रही है.

1977 के बाद नहीं हुई सीधी भर्ती

एआइएसएचइ रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में प्रोफेसर्स की कुछ संख्या बढ़ी हुई दिख रही है. नाम मात्र की इस बढ़त कारण कैरियर एडवांसमेंट स्कीम के जरिये हो रहा प्रमोशन है. राज्य में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर्स के पद पर सीधी भर्ती हुए 47 साल से अधिक समय बीत चुका है. जानकारी के मुताबिक 1977 के बाद इन दोनों पदों के लिए सीधी भर्ती नहीं हुई हैं. पिछले साल प्रोफेसर ओर एसोसिएट प्रोफेसर्स की सीधी नियुक्ति के लिए शिक्षा विभाग ने फाइलों पर कुछ प्रयास शुरू किये थे. हालात ये हैं कि अभी तक उसकी नियमावली भी तैयार नहीं हो सकी है. इन पदों पर नियुक्ति राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के जरिये करायी जानी थी. अब इसका प्रस्ताव ठंडे बस्ते में है.

अस्थायी शिक्षकों की संख्या तीन गुनी तक बढ़ी

शिक्षकों की इस कमी के कारणर ही राज्य में पिछले पांच साल में अस्थायी शिक्षकों की संख्या करीब तीन गुनी तक बढ़ गयी है. एआइएसएचइ 2021522 की हालिया आंकड़ों के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थाओं में अस्थायी शिक्षकों की संख्या वर्ष 2017-18 में 550 थी, 2021-22 में यह संख्या तीन गुनी से भी अधिक 1703 हो गयी है. इस तरह घटती चली गयी रीडर और एसोसिएट प्रोफेसर की संख्या- शैक्षणिक सत्र 2018-19 में इनकी संख्या 4134 थी, 2019-20 में 4093 , 2020-21 में 3761 और 2021-22 में 3691 रह गयी. इस तरह बढ़ती गयी अस्थायी शिक्षको की संख्या- शैक्षणिक सत्र 2017-18 में अस्थायी शिक्षकों की संख्या 550 थी, 2018-19 में यह 670 हो गयी. 2019-20 में 919, 2020-21 में 1228 और 2021-22 में अस्थायी शिक्षकों की संख्या 1703 हो गयी.

Also Read: बड़ा घोटाला! बिहार के विवि को पता ही नहीं कहां खर्च हो गए 800 करोड़, उच्च शिक्षा निदेशालय ने कहा ये…

क्या कहते हैं पूर्व कुलपति

पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं शिक्षाविद प्रो एलएन राम ने कहा कि प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की सीधी नियुक्ति 1974 के बाद से नहीं हुई है. कुछ पद जो बढ़े दिख रहे हैं, वह प्रमोशन से भरे हैं. शिक्षकों की कमी से अकादमिक गतिविधियां सीधे तौर पर प्रभावित हुई हैं. हालात यह है कि जिन्हें अभी पढ़ाते हुए 20 साल हुए हैं, उन्हें विश्वविद्यालयों में हेड ऑफ डिपार्टमेंट और सीनियर पदों पर बिठाया जा रहा है. जाहिर है कि आप के पास योग्य और अनुभवी शिक्षक नहीं हैं. शिक्षा विभाग को शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार को दूरदर्शिता पूर्ण और स्पष्ट रणनीति बनाना चाहिए. अन्यथा उच्च शिक्षा में गुणवत्ता दूर की कौड़ी साबित होगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें