Diwali पर लोग मिठाई खरीदना शुरू कर दिये हैं. लेकिन आप खाने पीने के मामलें में सावधान रहें, क्योंकि मिठाई व खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग को देखते हुए मिलावट खोर भी पूरी तरह सक्रिय हैं. दालें, अनाज, दूध, मसाले, घी से लेकर सब्जी व फल तक कोई भी खाद्य पदार्थ मिलावट से अछूता नहीं है. इसका कुप्रभाव हमारी रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग होने वाली जरूरत की वस्तुओं पर ही पड़ा है. जानकारों की माने तो दीपावली व छठ की शुरुआत होते ही शहर में मिलावटी खोया की भी आशंका बढ़ गयी है. शहर में संचालित होटलों और मिष्ठान भंडारों पर यदि जिम्मेदार अधिकारी बारीकी और ईमानदारी से जांच करें तो इस मिलावटी के बड़े कारोबार का पर्दाफाश हो सकता है.
दीपावली का त्योहार सर पर है. हालांकि दुर्गा पूजा से लेकर दीपावली तक इस सीजन में 200 से अधिक दुकानों पर छापेमारी के दावे किये जा रहे हैं. अब तक मिलावटी दूध, डेढ़ क्विंटल पनीर व 45 किलो से अधिक मिलावटी खोया पकड़ा जा चुका है. जांच में पता चला था कि शहर की ज्यादातर होटलों और मिष्ठान भंडारों पर जिले के बाहर से प्रतिदिन नकली और बनावटी मावे की खेप आना प्रारंभ हो गया है. बावजूद सही तरीके से छापेमारी नहीं की जा रही है. बताया जा रहा है कि पटना जिले में सिर्फ एक फूड इंस्पेक्टर के बदौलत छापेमारी करायी जाती है. यही वजह है कि शहर के अधिकांश मिलावटी दुकानों पर एक साथ छापेमारी नहीं हो पाती है.
जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा विधिवत व सख्त कार्रवाई न करने से होटल और मिष्ठान भंडार संचालक बेफिक्र हैं. होटल, मिष्ठान भंडार संचालकों के आपसी तालमेल के चलते आम जन मिलावटी मिठाई और अन्य खाद्य सामग्री खरीदने के लिए हर साल की तरह इस बार भी मजबूर होंगे. जबकि पटना जिले के छोटी-बड़ी मिठाई की दुकान, रेस्टारेंट व होटल को जोड़ दिया जा तो इनकी संख्या सैकड़ों में हैं. यहां खोया, बेसन, मैदा या फिर दूध से बनी मिठाई अलग है. त्योहार के समय यह आंकड़ा करीब चार गुना पहुंच जाता है.
खाद्य सुरक्षा अधिकारी अजय कुमार का कहना है कि दीपावली को देखते हुए छापेमारी शुरू कर दी गयी है. दुर्गा पूजा से अब तक करीब 200 से अधिक होटलों और मिष्ठान भंडारों की जांच शुरू कर दिया गया है. गुणवत्ता पर विशेष नजर रखी जा रही है. अधिक से अधिक सैंपल लेकर जांच के लिए लैब भेजें गये हैं. यह छापेमारी छठ तक जारी रहेगी.
– मिठाई हाथ में लेने पर, हाथ में रंग लग जाता है. मिठाई में सबसे रंग लाने के लिए सबसे ज्यादा मेटानिल येलो और टारट्राजाइन मिलाया जाता है. इससे किडनी डेमेज का खतरा बढ़ जाता.
– मिठाई चख कर भी उसके बासी होने या फिर गुणवत्ता का अंदाजा लगा सकते हैं.
– नकली केसर पानी में डालने के बाद रंग छोड़ने लगता है. असली केसर को पानी में घंटों रख देने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता.
– असली खोया को खाने पर कच्चे दूध जैसा स्वाद आयेगा, जबकि नकली को चखने पर स्वाद में कसैला होता है.
– खोया को अपने अंगूठे के नाखून पर रगड़े. इसके बाद अगर इसमें घी की महक आती है तो समझ जाइये कि ये असली है
– खोया में थोड़ी सी चीनी डालकर गर्म करें, यदि वो पानी छोड़ने लगे तो मिलावटी है.
रिपोर्ट: आनंद तिवारी