भागलपुर: दीवाली की तैयारी लोगों ने शुरू कर दी है. दीवाली में खासकर देवी लक्ष्मी की पूजा होती है. देवी लक्ष्मी के स्वागत में घर सजाने की तैयारी शुरू हो गयी है. बाजार में रंग, चूना, फेबिकॉल, वॉल पुट्टी, प्लास्टर ऑफ पेरिस का चौगुना कारोबार बढ़ गया है. पिछले दो साल में डेढ़ गुने तक घर सजाने में खर्च बढ़ गये.
भागलपुर के लोहापट्टी में केवल 13 रंग की दुकानें हैं, जबकि पूरे शहर में 100 से अधिक रंग दुकानें हैं. भागलपुर बाजार से दुमका, गोड्डा, साहेबगंज, बांका, जमालपुर, कोसी क्षेत्र खगड़िया, नवगछिया, बिहपुर आदि क्षेत्रों में रंग का कारोबार होता है. रंग कारोबारी अजय कुमार वर्मा ने बताया कि एक सीजन में 17 करोड़ से अधिक का रंग व अन्य सामान का कारोबार होता है. इस बार प्लास्टिक पेंट में नया मेटालिक सेट आया है.
रंग कारोबारी अरुण कुमार ने बताया कि पहले लोग हल्का कलर पसंद करते थे, लेकिन अब जमाना बदल गया है. लोगों को गहरा रंग अधिक पसंद आ रहा है. खासकर बैगनी, ऑरेंज आदि रंग अधिक भा रहा है.
उन्होंने बताया कि जाड़े में जैसे ऊनी कपड़ा व गरमी में कॉटन कपड़ा पहनते हैं, उसी प्रकार घर की बाहरी दीवार के लिए अलग पेंट व अंदर के लिए अलग पेंट आते हैं.
रंग कारोबारी अजय वर्मा ने बताया कि यदि आप 10 वाई 10 कमरा में चूना करायेंगे तो लेबर समेत 500 रुपये खर्च आते थे, जो कि अब महंगाई बढ़ने से 700 रुपये आयेंगे, जबकि टू बीएचके को चूना कराने में 2000 से बढ़ कर 2500 रुपये लगने लगा है़ टू बीएचके में प्लास्टिक पेंट, पुट्टी, प्राइमर कराने में लेबर समेत 12 हजार से बढ़कर 15-18 हजार लगने लगा है़ मालूम हो कि 10 वाई 10 रूम में चूना कराने में 150 रुपये का पांच किलो चूना, रंग व ढाई सौ ग्राम फेबिकॉल लगता है. एक दिन में एक रूम की रंगाई हो जाती है. रंग कराने के लिए एक मजदूर लगता है, जिसकी मजदूरी 400 से 450 रुपये हैं.
इधर घर के सजावट में रंग के अलावा फूल-पत्ती की भी जरूरत होती है. इसे लेकर भी बाजार में दुकानें सजायी गयी है, जहां पर फैंसी झालर, कागज लेंप, बंदनवार, रंगोली आदि बिक रहे है. अभी डिजाइनर झालर लोगों को अधिक लुभा रहे हैं.
निटको टाइल्स के थोक कारोबारी धीरज बाजोरिया ने बताया कि पहले लोग दीवार पर रंग व पेंट अधिक कराते थे. अब लोग बाहरी दीवार पर रंग-पेंट कराने की जगह टाइल्स लगाने लगे हैं. उनका मानना है कि बार-बार रंग कराने में कई प्रकार की परेशानी होती है. इस परेशानी से बचाने का स्थायी समाधान टाइल्स लगाना है. अभी टाइल्स लगाने में मिस्त्री समेत 85 रुपये स्क्वायर फीट खर्च आ रहा है. पिछले तीन वर्षों में बाहरी दीवार पर 40 फीसदी तक टाइल्स लगाने का प्रचलन बढ़ गया है.
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चूना 10 किलो-140 रुपये- 150 रुपये
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सैमोसेम 550 रुपये प्रति 20 किलो- अब 600 से 650 रुपये
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प्लास्टिक पेंट 325 रुपये लीटर- अब 400रुपये लीटर
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वायल पेंट 240 से 270 रुपये लीटर , अब 290-320 रुपये लीटर
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सन 70-80 रुपये किलो, अब 100 रुपये
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पेंटर
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मजदूर 400-450 रुपये प्रति दिन, अब 500-550 रुपये प्रतिदिन