विपिन कुमार मिश्र
बेगूसराय. वेद-पुराणों में कहा गया है कि गाय साक्षात कामधेनु है, नयी पीढ़ी के लोग इस बात को नहीं मानते हैं लेकिन बेगूसराय के एक युवक ने इस बदलते युग में भी साबित कर दिया है कि गाय सच में पहले भी साक्षात कामधेनु थी, आज भी साक्षात कामधेनु है और भविष्य में भी साक्षात कामधेनु रहेगी. उसकी कोई भी चीज बेकार नहीं जाती. लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिये गये आत्मनिर्भर भारत के मंत्र को आत्मसात कर राकेश ने गाय के गोबर के सहारे आत्मनिर्भरता की ऐसी राह चुनी. जिसके लिए अब तक किसी ने सोचा भी नहीं था.
बेगूसराय के रजौड़ा सिकंदरपुर निवासी राकेश ने गोबर से ना केवल सब्जी उपजाने के लिए प्राकृतिक गमला तैयार किया बल्कि 40 प्रकार की विभिन्न चीजें बनायी है. इस बार दीपावली में घरों को जगमग करने के लिए गोबर से रंग बिरंगा और स्टाइलिश दीप तैयार किया है. इस दीप में ना केवल घी और तेल डालकर बत्ती जलेगी, बल्कि सुगंधित रोशनी बिखरेगी तथा तेल और घी समाप्त होने के बाद पूरा दीप ही जलकर समाप्त हो जाएगा. विगत आठ दिनों से राकेश अपने परिवार और आस-पड़ोस की महिलाओं के साथ लगातार दीप बना रहा है. दस हजार से अधिक दीप बनकर विभिन्न आकर्षक चटख रंगों से रंगे जा चुके हैं तथा आर्डर भी आ रहे हैं.
दीप के अलावे राकेश ने गोबर से ही मोबाइल स्टैंड, राधा-कृष्ण की प्रतिमा, श्रीराम, हरे कृष्ण, ऊं और स्वास्तिक का स्टीकर, पूजा के लिए आसन, बच्चों को पढ़ने के लिए अल्फाबेट टेबल, महिलाओं का उबटन, दंतमंजन, कीट नियंत्रक, शैंपू तथा चर्म रोग में फायदेमंद साबुन भी बनाया है. एनटीपीसी बाढ़ में 2017 तक 18-20 हजार महीना की प्राइवेट नौकरी करने वाले राकेश की आय अभी उतनी तो नहीं है लेकिन आशा और विश्वास है कि एक ना एक दिन गोबर उसके समृद्धि का आधार बनेगा. राकेश ने बताया कि सभी सामान बनाने के लिए 76 किलो कच्चे गोबर में दस किलो मिट्टी, दस किलो लकड़ी का बुरादा, दो किलो चूना, गोमूत्र मिलाकर अच्छे तरीके से गुथाई करने के बाद तैयार किया जा रहा है.
दीपावली में घरों को जगमग करने के लिए बनाए जाने वाले दीप में सुगंध के लिए भी कोई सेंट नहीं, बल्कि धुमन और गुगुल आदि मिलाया गया है ताकि प्राकृतिक सुगंध के साथ पूजा-पाठ का माहौल बना रहे. उसका लक्ष्य है गाय के गोबर एवं गोमूत्र से 50 से अधिक प्रकार का सामान बनाकर लोगों को जहर मुक्त खानपान समेेत विषाक्त वातावरण से मुक्त कराना.
राकेश ने बताया कि वह जब बाढ़ एनटीपीसी में मजदूरी करता था, इसी दौरान एक हादसे में पैर टूट गया. पैर टूटने के कारण जब घर पर रहा तो गोपालन शुरू कर दी लेकिन गोबर और गोमूत्र का सही उपयोग नहीं होकर बेकार हो जाता था. इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गोपालन को परिवारिक समृद्धि का आधार बनाये जाने की अपील सुनी, तो वह कुछ नया करने में जुट गया, लेकिन कहीं से कोई रास्ता नहीं मिल रहा था. इन बातों को झेलते हुए जब लॉकडाउन आ गया तो परिवार की स्थिति और बदतर हो गयी. सभी लोगों को घर में बंद रहने की मजबूरी हो गयी. इसी दिनों में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के अपने मन की बात और देशवासियों के नाम संबोधन में लगातार लोगों को आत्मनिर्भर बनने तथा लोकल प्रोटेक्ट बढ़ावा दिए जाने की अपील सोशल मीडिया पर उसे मिल रही थी.
प्रधानमंत्री के मंत्र को आत्मसात करते हुए उसने निर्णय लिया कि जब देश के अन्य जगहों पर गोबर से कीट नियंत्रक सहित कुछ आकर्षक चीजें बनायी जा सकती है तो वह क्यों नहीं लोगों को प्रकृति से जोड़ने के लिए गोबर से विभिन्न चीजें बना सकता है. गूगल पर सर्च करने के दौरान गोबर से सब्जी और फूल लगाने के लिए गमला बनाने का आइडिया मिला तो गुजरात जाकर एक कंपनी से संपर्क किया. वहां जाकर प्रशिक्षण लिया तथा मशीन दस हजार में खरीदकर घर पर ही गमला बनाना शुरू किया. लोग पागल कहने लगे और उसने 2021 में इसे जूनून बना लिया, गमला में बगैर खाद के सब्जी उत्पादन सक्सेस हो गया, बिक्री भी अच्छी हुई.