पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि कोरोना से मरने वालों के आश्रितों को मुख्यमंत्री राहत कोष से चार लाख रुपये दिये जा रहे हैं. उन्होंने सभी डीएम को निर्देश दिया कि कोरोना संक्रमण से जिनकी मौत हुई है, उसकी पूरी जानकारी जुटायें और उनके परिजनों को अनुग्रह राशि उपलब्ध करायें.
उन्होंने कहा कि चलंत टेस्टिंग वैन की शुरुआत की गयी है. इससे हर रोज ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार जांच होगी. इस जांच की रिपोर्ट 24 घंटे में लोगों को मिल जायेगी. मुख्यमंत्री ने सोमवार को एक अणे मार्ग स्थित संकल्प सभाकक्ष में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आपदा प्रबंधन समूह की बैठक की.
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण की प्रतिदिन की जानकारी लेते हैं और उसके आधार पर स्वास्थ्य विभाग और संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दिये जाते हैं. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हर जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सामूहिक किचेन के माध्यम से सभी जरूरतमंद लोगों को दोनों समय भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. हर प्रखंड में सामुदायिक किचेन की शुरुआत की गयी है. लॉकडाउन के दौरान इच्छुक लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया जा रहा है.
सभी जिलों के प्रभारी मंत्री कोरोना संक्रमण की स्थिति और उसके बचाव के लिए किये जा रहे कार्यों की लगातार जानकारी ले रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग को उसका फीडबैक दे रहे हैं, जिसके आधार पर भी विभाग हर जरूरी कदम उठा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण को लेकर सभी जिलाधिकारियों को पहले से ही विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिये गये हैं. सभी डीएम से कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन अवधि विस्तार को लेकर जानकारी ली गयी है. सभी लोगों ने इसे बढ़ाने का सुझाव दिया था.
बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार और चंचल कुमार उपस्थित थे. जबकि, वीडियो कांफ्रेंसिंग में उप-मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, रेणु देवी, शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण, विकास आयुक्त आमिर सुबहानी, डीजीपी एसके सिंघल, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद, पथ निर्माण के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, सीएम के सचिव अनुपम कुमार समेत अन्य अधिकारी जुड़े हुए थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिदिन औसतन करीब एक लाख 27 हजार जांच की जा रही है. जांच की संख्या को ज्यादा बढ़ाना है, इसे रोज डेढ़ लाख तक ले जाना है. मार्च में 10 लाख की आबादी पर देश में प्रतिदिन जितनी औसतन जांच हो रही थी, उसकी तुलना में बिहार में यह 14 हजार ज्यादा थी.
Posted by Ashish Jha