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बिहार में DM शराबबंदी के लंबित मामलों को निबटायेंगे, हाइकोर्ट से न्यायिक शक्तियां मिलने का इंतजार

Bihar News: डीएम हाइकोर्ट से कार्यपालक दंडाधिकारियों को न्यायिक शक्तियां मिलने के इंतजार में हैं. शक्तियां मिलने पर विशेष न्यायालयों में धारा 37 के तहत दर्ज तमाम ऐसे पुराने मामलों की सूची जिला एवं सत्र न्यायाधीश के परामर्श से डीएम को ट्रांसफर हो जायेगी.

पटना. बिहार मद्य निषेध और उत्पाद की संशोधित अधिनियम व नियमावली लागू होने के बाद राज्य सरकार अब बड़ी संख्या में लंबित शराबबंदी के मामलों को तेजी से निबटाने में जुट गयी है. संशोधन अधिनियम के तहत पूर्व से शराब पीने के आरोपित (धारा 37), इससे जुड़े वाहन एवं संपत्ति को परिस्थिति के मुताबिक तयशुदा जुर्माना भर कार्यपालक दंडाधकारी के स्तर पर छोड़े जाने व केस बंद किये जाने का प्रावधान है. सभी जिला प्रशासन ने विज्ञापन व नोटिस जारी कर ऐसे लोगों को मौका देने की तैयारी पूरी कर ली है. सभी डीएम हाइकोर्ट से कार्यपालक दंडाधिकारियों को न्यायिक शक्तियां मिलने के इंतजार में हैं. शक्तियां मिलने पर विशेष न्यायालयों में धारा 37 के तहत दर्ज तमाम ऐसे पुराने मामलों की सूची जिला एवं सत्र न्यायाधीश के परामर्श से डीएम को ट्रांसफर हो जायेगी.

वाहन मालिकों को 15 दिनों का दिया जायेगा समय

मद्य निषेध विभाग द्वारा तैयार मानक संचालन प्रक्रिया के मुताबिक एक अप्रैल, 2022 से पहले के जब्त वाहन के मामले में नोटिस जारी कर वाहन मालिकों को जुर्माना जमा कर वाहन मुक्त कराने के लिए 15 दिनों का समय दिया जायेगा. जुर्माना राशि वाहन के नवीनतम बीमाकृत मूल्य का 50 प्रतिशत होगी. नोटिस मिलने पर वाहन मालिक 15 दिनों के अंदर नियमावली के फॉर्म 4 के अनुसार आवेदन भर कर डीएम अथवा संबंधित कार्यपालक दंडाधिकारी के पास उपस्थित होकर जुर्माना जमा करेंगे. जुर्माना जमा होने पर वाहन छोड़ दिया जायेगा. वहीं, जमा नहीं करने पर राज्यसात की कार्रवाई प्रारंभ करते हुए वाहन को नीलाम किया जायेगा. हालांकि, जो वाहन नीलामी हेतु विज्ञापित हैं, उस प्रक्रिया को रोका नहीं जायेगा.

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वाहन जब्ती के 30 दिनों में राज्यसात की कार्रवाई जरूरी

एक अप्रैल, 2022 के बाद जब्त वाहन के मामले में वाहन मालिक को नियम 12ए के तहत फॉर्म 4 में आवेदन देना होगा. आवेदन पर एक संक्षिप्त आदेश पारित करते हुए 15 दिन के भीतर निर्धारित जुर्माना भरने का निर्देश दिया जायेगा. अधिनियम के मुताबिक किसी भी हालत में वाहन जब्ती के 30 दिनों के भीतर राज्यसात की कार्रवाई प्रारंभ होनी है. वहीं, वाहन जब्ती के 90 दिनों के अंदर राज्यसात आदेश पारित हो जाना चाहिए.

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