दरभंगा AIIMS से पहले होगा DMCH का विस्तार और विकास, पांच अरब खर्च करेगी बिहार सरकार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एम्स को आवंटित जमीन में से 50 एकड़ डीएमसीएच को दे दिया था. समीक्षात्मक बैठक में 150 एकड़ भूमि पर ही एम्स निर्माण करने व 77 एकड़ जमीन पर मास्टर प्लान के तहत डीएमसीएच के उन्नयन करने पर सहमति बनी थी. अब इस जमीन पर नये सिरे से मास्टर प्लान तैयार किया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 22, 2022 2:17 PM

दरभंगा. दरभंगा एम्स से पहले डीएमसीएच (DMCH) का विस्तार और विकास होगा. उत्तर बिहार के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान डीएमसीएच के विकास का ब्लू प्रिंट तैयार हो गया है. जल्द ही अस्पताल के दिन बहुरेंगे. इसे लेकर विभाग की ओर से बजटीय प्रावधान किया गया है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से डीएमसीएच के विस्तारीकरण एवं पुनर्विकास को लेकर 5.69 अरब रुपए की राशि आवंटित की गई है. इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव राम ईश्वर ने महालेखाकार पटना को पत्र जारी किया है.

2014-15 में ही मिली थी प्रशासनिक स्वीकृति

पत्र में कहा गया है कि डीएमसीएच के विस्तारीकरण एवं पुनर्विकास योजना फेज वन के कार्यान्वयन को लेकर वित्तीय वर्ष 2014-15 में पांच अरब 69 करोड़ तीन लाख 28 हजार 998 रूपये की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई है. इसके तहत सर्जिकल ब्लॉक के निर्माण के लिए 132.51 करोड़ की प्राकलित राशि की योजना तैयार की गयी है. इस योजना के तहत सीएफएमएस के बंधेज को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2021-22 में 12.80 करोड़ के अतिरिक्त खर्च की स्वीकृति दी गयी है. बताया है कि यह कार्य बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड पटना द्वारा कराया जाएगा.

मास्टर प्लान के तहत अस्पताल का होगा उन्नयन

विदित हो कि वर्तमान में डीएमसीएच के कई विभाग जर्जर अवस्था में पहुंच चुके हैं. ओपीडी परिसर में संचालित सर्जरी बिल्डिंग के परित्यक्त होने के कारण मरीजों को नर्सिंग होस्टेल में शिफ्ट कर दिया गया है. वहीं रेडियोलॉजी विभाग को भी सुपर स्पेशलिटी बिल्डिंग में संचालित किया जा रहा है. मेडिसिन विभाग के आइसीयू का छत बारिश के मौसम में टपकने लगता है. इसके अलावा अन्य बिल्डिंग भी जीर्णशीर्ण है.

एम्स के कारण कई विभागों के लिए नहीं बची है जगह

उधर, एम्स के कारण कई विभागों के संचालन की समस्या हो गयी है. इसमें एनाटोमी, फिजियोलॉजी व बायोकेमिस्ट्री विभाग आदि शामिल है. इस कारण पठन- पाठन को लेकर प्रशासनिक समस्या हो गयी है. इसे लेकर प्राचार्य डॉ केएन मिश्रा ने सरकार को सूचित किया था. मालूम हो कि पिछले साल 16 दिसंबर को मुख्यमंत्री ने एम्स को आवंटित जमीन में से 50 एकड़ डीएमसीएच को दे दिया था. समीक्षात्मक बैठक में 150 एकड़ भूमि पर ही एम्स निर्माण करने व 77 एकड़ जमीन पर मास्टर प्लान के तहत डीएमसीएच के उन्नयन करने पर सहमति बनी थी.

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