Bihar News: बिहार के पटना के डॉक्टर ने हड्डियों का सफल प्रत्यारोपन कर दिया है भागलपुर के कहलगांव की एक महिला के इलाज में हर पहलू को जांचा गया. अच्छे से डायग्नोस किया गया, जिसमें पैर की हड्डी में इन्फेक्शन का पता चला. ऑपरेशन थिएटर में कूल्हा प्रत्यारोपण के साथ इंफेक्टेड हड्डी के भाग तक हड्डी पहुंचा गया. फिर उस भाग को ऑपरेट कर निकला गया. एक माह प्रत्यारोपण के बाद अब वो महिला पूरी तरह फिट हो गई हैं. अब वो आराम से चल रही हैं. हालांकि बार – बार प्रत्यारोपण असफल होने से वो महिला इतनी डरी और सशंकित हैं कि अभी भी हॉस्पिटल में ही हैं.
इस पूरे केस के संबंध में ऑपरेशन करने वाले प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक सर्जन डा एके सिन्हा ने जानकारी दी है कि अबतक जितनी बार इनका ऑपरेशन हुआ, उसमें डॉक्टर समस्या पकड़ नहीं पा रहे थे. वो हड्डी के संक्रमण को चिन्हित नहीं कर पा रहे थे. इस वजह से बार – बार ऑपरेशन विफल हो रहा था. हम लोगों ने कूल्हा प्रत्यारोपण के साथ संक्रमण नियंत्रित करने के उपाय अपनाएं और संक्रमित भाग को निकाल दिया. तब जाकर सर्जरी सफल हुई. अब मरीज पूरी तरह ठीक हैं और अच्छे से चल रही हैं. ऑपरेशन में तीन घंटे का वक्त लगा और पांच डॉक्टरों की टीम असिस्ट कर रही थी.
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गौरतलब है कि उक्त मरीज का पहला ऑपरेशन पिछले साल जून में गुड़गांव में देश के एक हॉस्पिटल में हुआ था. लेकिन ऑपरेशन सफल नहीं हो सका. समस्या ज्यों की त्यों बनी रही. फिर उक्त महिला का ऑपरेशन पटना के एक बहुत बड़े अस्पताल में हुआ. लेकिन यहां भी सफलता नहीं मिली. महिला अपने पैरों पर सही से नहीं चल पा रही थीं. विशेषज्ञ के अनुसार बदलती जीवनशैली, मोटापा और गलत खानपान की वजह से यह समस्या बढ़ रही है. आज हम कमरे में बंद हो गए हैं और जंक फूड खा रहे हैं. धूम्रपान और गुटखा का सेवन भी हड्डी के कमजोर होने का कारण हैं. हमारा खाना अच्छा नहीं होता है. इसके अलावा उम्र के हिसाब से घुटना और कूल्हा घिसता है. लोगों की औसत आयु बढ़ गई है. इस वजह से भी यह समस्या ज्यादा दिखाई दे रही है. यदि कूल्हा और घुटने के दर्द से बचना है तो दो- चारों बातों को जीवन में अनुसरण करना होगा. मसलन, नियमित व्यायामा करना और वजन नियंत्रित रखना. डॉक्टर की सलाह भी समय-समय पर लेती रहनी चाहिए ताकि समय से समस्या पकड़ी जा सके और उसे धीमा किया जा सके. लेकिन जब दर्द इतना बढ़ जाए कि हर रोज दर्द निवारक गोलियां खानी पडे़ तथा रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होने लगे तो प्रत्यारोपण आवश्यक हो जाता है.