Patna: हार्ट का सिर्फ 20 फीसदी हिस्सा कर रहा था काम, फिर देवदूत बने डॉक्टर ने ऐसे बचाई मरीज की जान
Patna: 75 साल के मरीज के हार्ट का सिर्फ 20 प्रतिशत हिस्सा ही काम कर रहा था. डॉक्टरों द्वारा दी गई दवाइयों से भी जब आराम नहीं हुआ तो बुजुर्ग का सीआरटीडी विधि के द्वारा इलाज किया गया.
Patna: फोर्ड हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, पटना में सांस लेने की तकलीफ से जूझ रहे एक 75 वर्षीय बुजुर्ग को सीआरटीडी डिवाइस लगाई गयी. यह प्रयास सफल रहा और डॉ. बीबी भारती की देखरेख में किए गए इस आधुनिक उपचार से उनके स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ.
देवदूत बने डॉक्टर ने ऐसे बचाई जान
75 साल के मरीज राजेंद्र प्रसाद का हृदय मात्र 20 प्रतिशत ही काम कर रहा था, जिसके कारण उन्हें सांस लेने में बहुत कठिनाई हो रही थी. पहले डॉक्टरों द्वारा दी गई दवाइयों से भी उन्हें कोई खास राहत नहीं मिल रही थी. इसके बाद फोर्ड हॉस्पिटल के निदेशक और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. बीबी भारती ने उनका इलाज किया और उनके हृदय को सुधारने के लिए सीआरटीडी (कार्डियक रिसिंक्रोनाइजेशन थेरेपी डिवाइस) लगाया. यह डिवाइस उन मरीजों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होती है जिनकी सांस की तकलीफ दवाइयों से ठीक नहीं हो रही हो.
इन परिस्थितियों में किया जाता है सीआरटीडी का इस्तेमाल
सीआरटीडी डिवाइस का इस्तेमाल उन मामलों में किया जाता है जब हृदय की धड़कन असमान हो और मरीज को सांस लेने में कठिनाई हो. कुछ मरीजों के लिए यह डिवाइस रामबाण की तरह काम करता है. राजेंद्र प्रसाद के मामले में भी डिवाइस लगाने के बाद उनकी सेहत में तेजी से सुधार हुआ. अब तक उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी है और उनकी हालत में लगातार सुधार हो रहा है. इस उपचार के बाद उनका हृदय अधिक प्रभावी ढंग से काम कर रहा है.