स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर पूरे बिहार के मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. हड़ताल के चौथे दिन नालंदा मेडिकल कॉलेज (NMCH) में जूनियर डॉक्टरों ने जमकर हंगामा किया. डॉक्टरों ने पहले ओपीडी से सभी मरीजों को बाहर निकाल दिया और ताला जड़ दिया. ऐसे में सीनियर डॉक्टर भी इलाज नहीं कर पाए. जूनियर डॉक्टरों ने ओपीडी के बाहर जमकर प्रदर्शन किया और सरकार के नारेबाजी की. हड़ताल से 1200 मरीजों को बिना इलाज के ओपीडी से जाना पड़ा. हालांकि सभी अस्पतालों के इमर्जेंसी में इलाज की जा रही है.
ओपीडी बंद कराने से मरीजों में भी आक्रोश देखने को मिला. दिनभर मरीजों के परिजन और जूनियर डॉक्टरों के बीच नोकझोंक होती रही. इसके कारण अस्पताल का माहौल तनावपूर्ण बना रहा. एनएमसीएच में राज्य भर से इलाज के पहुंच रहे मरीजों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा. इसे देखते हुए अस्पताल में पुलिस बल भी तैनात किया गया. गौरतलब है कि अभी सरकार की तरफ से डॉक्टरों के साथ कोई वार्ता नहीं की गयी है. इसके कारण डॉक्टरों का आक्रोश और बढ़ता जा रहा है.
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें स्टाइपेंड के नाम पर 15 हजार मिलता है. जो राज्य भर में सबसे कम है. पटना आईजीआईएमएस (Patna IGIMS) में जूनियर डॉक्टर को 25 हजार रुपये मिलता है. उनकी मांग है कि हर हाल में उन्हें 35 हजार रुपये दिया जाए जब ही हड़ताल खत्म करेंगे. जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि जबतक मांगों को नहीं माना जाता जब तक वो इमरजेंसी सेवा को छोड़कर बाकि सेवा को बाधित रहेगी. मरीजों को हम मना कर रहे हैं कि पर्ची न कटवाएं. मगर फिर भी वो पर्ची कटवा रहें हैं. हमारी लड़ाई मरीजों से नहीं सरकार से अपना हक मांगने की है. हालांकि एनएमसीएच के अधीक्षक विनोद कुमार सिंह ने बताया कि अस्पताल में सीनियर और पीजी डॉक्टर इलाज कर रहे हैं.