बिहार में पीएचसी के डॉक्टर लेंगे क्लाइमेट चेंज से जुड़े रोगों के इलाज का प्रशिक्षण, जायेंगे भुवनेश्वर
अब बिहार में पर्यावरण विभाग, लोकस्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग के साथ मिलकर स्वास्थ्य विभाग अपना गाइडलाइन और एक्शन प्लान तैयार करेगा. प्लान के अनुसार सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा.
पटना. अब बिहार में पर्यावरण विभाग, लोकस्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग के साथ मिलकर स्वास्थ्य विभाग अपना गाइडलाइन और एक्शन प्लान तैयार करेगा. प्लान के अनुसार सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा.
30 चिकित्सकों को भेजा जायेगा भुवनेश्वर
बिहार सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को स्वस्थ्य करने के लिए कई कदम उठाने का फैसला किया है. इसी क्रम में बिहार में क्लाइमेट चेंज से होनेवाली बीमारियों के इलाज का प्रशिक्षण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात चिकित्सकों को दिया जायेगा. स्वास्थ्य विभाग ने इसको लेकर सभी प्रकार की तैयारी कर ली है. बिहार के 30 चिकित्सकों को भुवनेश्वर में क्लाइमेट चेंज से निबटने को लेकर डिमांस्ट्रेशन और वार्कशॉप में प्रशिक्षण दिया गया.
कई बीमारियों को पैदा कर रहा है प्रदूषित भूमिगत जल
बिहार की अधिसंख्य जनता भूमिगत जल पीती है. क्लाइमेट चेंज के राज्य नोडल पदाधिकारी डा रंजीत कुमार ने बताया कि अंडरग्राउंड वाटर में आयरन जैसे भारी तत्व के पाये जाने से पेट संबंधी बीमारी हो रही है. इसी प्रकार से आर्सेनिक युक्त जल के कारण कैंसर की बीमारी का खतरा बना हुआ है. उत्तर बिहार के कई इलाकों में आर्सेनिक युक्त जल की अधिकता पायी गयी है. इस इलाकों में आर्सेनिक युक्त जल पीने से बड़ी संख्या में लोग कैंसर जैसी बीमारियों की चपेट में आ चुके हैं.
ओडिशा सबसे अधिक आपदा से जूझनेवाला राज्य
फ्लोराइड युक्त पानी के सेवन में आंख की रोशनी और हड्डी के टेढ़ापन की बीमारी होती है. दक्षिण बिहार के कुछ इलाकों में फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या देखी जा रही है. उत्तर बिहार बाढ़ से प्रभावित रहता है. उन्होंने बताया कि ओडिशा सबसे अधिक आपदा से जूझनेवाला राज्य है. वहां पर बिहार के प्रशिक्षकों को तीन दिनों तक सभी प्रकार के आपदा का डिमांस्ट्रेशन दिखाया गया.