पटना. विदेश में मेडिसिन की पढ़ाई कर बिना फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा पास किये ही फर्जी दस्तावेज के आधार पर बिहार मेडिकल काउंसिल से मेडिकल प्रैक्टिस करने या नौकरी करने का सर्टिफिकेट लेने के मामले में पारस अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर मो शमीम फारूखी भी शामिल थे. सीबीआइ ने दिसंबर, 2022 में फर्जी दस्तावेज के आधार पर बिहार मेडिकल काउंसिल से प्रैक्टिस करने व नौकरी करने का सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले 19 डॉक्टरों की पहचान की थी. इन सभी के खिलाफ में दिल्ली सीबीआइ ने मामला भी दर्ज किया था. लेकिन इसके बावजूद मो शमीम फारूखी पारस अस्पताल में मेडिकल प्रैक्टिस कर रहे थे.
सीबीआइ द्वारा की गयी कार्रवाई में शमीम फारूखी का नाम भी आने की जानकारी पारस अस्पताल को नहीं थी. लेकिन 10 मई को सीबीआइ की ओर से पारस अस्पताल को जानकारी दी गयी, तो तुरंत ही उन्हें नौकरी से हटा दिया गया. साथ ही 12 मई को पारस अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ नीतेश कुमार ने शास्त्रीनगर थाने में फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए डॉ शमीम फारूखी के खिलाफ में प्राथमिकी दर्ज करा दी.
डॉ शमीम फारूखी मूल रूप से दरभंगा के लालबाग भीगो फारूखी कॉम्पलेक्स के रहने वाले हैं. ये पारस अस्पताल में 16 दिसंबर, 2020 से 10 मई, 2023 तक कार्यरत थे. अपनी लिखित शिकायत में मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ नीतेश कुमार ने पुलिस को जानकारी दी है कि सीबीआइ एसी 1 दिल्ली द्वारा यह जानकारी दी गयी है कि डॉ शमीम फारूखी ने मेडिकल सर्टिफिकेट व रजिस्ट्रेशन के लिए अप्वाइंटमेंट व इंटरव्यूह के समय में फर्जी दस्तावेज दिये थे. डॉ शमीम फारूखी ने जो मेडिकल काउंसिंल ऑफ इंडिया का सर्टिफिकेट, एफएमजीइ सर्टिफिकेट व बिहार काउंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिये हैं, वे सीबीआइ द्वारा जुटाये गये सबूतों के आधार पर फर्जी हैं. इधर, पुलिस मामला दर्ज करने के बाद डॉ शमीम फारूखी को तलाशने में जुट गयी है.
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सीबीआइ ने दिसंबर 2022 में बिहार के साथ ही 14 राज्यों की मेडिकल काउंसिल से फर्जी तरीके से प्रैक्टिस का लाइसेंस हासिल करने के मामले में कार्रवाई की थी. बिहार में सीबीआइ ने पटना, मुंगेर, दरभंगा, भागलपुर, चंपारण, बेगूसराय, हाजीपुर, वैशाली और नालंदा में कार्रवाई की थी. सीबीआइ की टीम बिहार मेडिकल काउंसिल के राजेंद्र नगर स्थित कार्यालय भी पहुंची थी. छापेमारी में एजेंसी ने एफएमजीइ (फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएशन एग्जाम) से जुड़े कई सर्टिफिकेट समेत कई संदिग्ध दस्तावेज भी बरामद किये थे. इस दौरान यह जानकारी मिली थी कि बिहार के 19 डॉक्टरोें ने फर्जी कागजात के आधार पर काउंसिल से मेडिकल प्रैक्टिस करने व किसी भी संस्थान में नौकरी करने का सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया था. इनमें से ही एक डॉ शमीम फारूखी भी थे.