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सुपौल में मछली समझ कर बच्चों ने पकड़ा डॉल्फिन, ग्रामीण युवाओं ने कोसी नदी में छोड़ा

नदी थाना क्षेत्र के सिसौनी पंचायत स्थित कोसी नदी के सुरक्षा बांध संख्या दो के समीप सोमवार की सुबह बच्चों ने एक डॉल्फिन देखा और उसे पकड़ लिया. लेकिन युवाओं ने जब देखा तो उसे पुन: पानी में छोड़ दिया.

सुपौल के नदी थाना क्षेत्र के सिसौनी पंचायत स्थित कोसी नदी के सुरक्षा बांध संख्या दो के समीप सोमवार की अहले सुबह बच्चों ने एक आठ किलो के डॉल्फिन के बच्चे को पानी में तैरते हुए देखा, इसके बाद बच्चों ने उसे पकड़ लिया. जिसे ग्रामीण युवाओं ने पुन: छोड़ दिया. युवाओं के इस कार्य की लोगों ने काफी प्रशंसा की. डॉल्फिन के बच्चे के बारे में बताया जा रहा है कि सिसौनी पंचायत स्थित कोसी नदी में पहली बार इस प्रकार की मछली को पानी में विचरण करते हुए देखा गया है. जिसे ग्रामीण बच्चों ने पकड़ कर पानी से बाहर निकाला फिर उसे पानी मे छोड़ दिया गया.

पहली बार ग्रामिणों ने डॉल्फिन का बच्चा देखा

ग्रामीणों ने बताया कि सिसौनी पंचायत स्थित कोसी नदी के डैम संख्या दो के निकट पहली बार डॉल्फिन के बच्चे को देखा गया, जो लगभग आठ किलो का होगा. बताया कि पहली बार हम लोगों ने डॉल्फिन का बच्चा देखा. इससे पहले डॉल्फिन के बारे में सिर्फ सुनते थे. माना जा रहा है कि नदी में पानी कम होने के कारण डॉल्फिन नदी किनारे आ गया.

इससे पहले भी मछुआरे ने पकड़ा था डॉल्फिन

बता दे कि वर्ष 2019 में सदर प्रखंड के बैरिया मंच के समीप मछुआरे के जाल में दो डॉल्फिन फंस गया था. जिसे मछुआरे ने मारकर डॉल्फिन का तेल निकाल लिया. जानकार बताते हैं कि कोसी में पिछले कुछ सालों में डॉल्फिन की संख्या काफी बढ़ी है. लेकिन इससे संरक्षण के लिए कोई ठोस पहल नहीं किये जाने के कारण डॉल्फिन शिकारियों के चंगुल में फंस रहा है.

जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता : प्रो सुनील

टीएनवी वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रो सुनील चौधरी ने डॉलफिन के प्रति चिंता जाहिर की और कहा कि कोसी में डॉल्फिन की संख्या अच्छी खासी है. इसके लिए सर्वे भी कराया गया. लेकिन जागरूकता के अभाव में डॉल्फिन पर खतरा मंडराने लगा है. डॉल्फिन संरक्षण के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है. खासकर सुपौल, सहरसा और अररिया जिला में इसके लिए आम लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए.

कोसी में है 282 डॉल्फिन : नचिकेत

वहीं एक सर्वेक्षण के मुताबिक वीरपुर बराज से लेकर कुरसैला तक कोसी नदी में लगभग 282 डॉल्फिन हैं. फरवरी 2023 में इसका सर्वेक्षण कराया गया था. वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन ट्रस्ट मुंबई के डॉ नचिकेत केलकर ने बताया कि फरवरी 2023 में कोसी बराज से लेकर कुरसैला तक सर्वेक्षण कराया गया. जिसमें 282 डॉल्फिन होने की संभावना जतायी गयी. इसके संरक्षण के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. जरूरत है इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाने की.

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डॉल्फिन मछली नहीं, स्तनधारी प्राणी

डॉल्फिन को हम अक्सर मछली समझने की भूल कर देते हैं लेकिन वास्तव में डॉल्फिन एक मछली नहीं है. वह तो एक स्तनधारी प्राणी है. जिस तरह व्हेल एक स्तनधारी प्राणी है वैसे ही डॉल्फिन भी इसी कैटेगरी में आती है. यह एक छोटी व्हेल की ही तरह है. जानकार बताते हैं कि डॉल्फिन को अकेले रहना पसंद नहीं है यह सामान्यत: समूह में रहना पसंद करती है. इनके एक समूह में 10 से 12 सदस्य होते हैं. हमारे भारत में डॉल्फिन गंगा नदी के अलावा कोसी नदी में भी पाई जाती है. यह 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तैर सकती है. डॉल्फिन 10-15 मिनट तक पानी के अंदर रह सकती है लेकिन वह पानी के अंदर सांस नहीं ले सकती. उसे सांस लेने के लिए पानी की सतह पर आना पड़ता है.

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