निशा रात्रि को खुला मां काली का द्वार, श्रद्धालुओं ने महाप्रसाद अर्पित कर की सुख शांति व समृद्धि की कामना
मध्यरात्रि को मां काली के जयकारे के साथ मंदिर और पंडालों का पट्ट खोल दिया गया. सभी जगहों पर मां का पट्ट खुलने के साथ ही भक्तों की भीड़ दर्शन को उमड़ पड़ी. हजारों श्रद्धालुओं ने पंडाल में स्थापित मां काली की प्रतिमा का दर्शन किये और प्रसाद चढ़ा सुख शांति व समृद्धि की कामना की.
भागलपुर. शहर के विभिन्न स्थानों पर मध्यरात्रि को मां काली के जयकारे के साथ मंदिर और पंडालों का पट्ट खोल दिया गया. सभी जगहों पर मां का पट्ट खुलने के साथ ही भक्तों की भीड़ दर्शन को उमड़ पड़ी. हजारों श्रद्धालुओं ने पंडाल में स्थापित मां काली की प्रतिमा का दर्शन किये और महाप्रसाद अर्पित कर सुख शांति व समृद्धि की कामना की. मां काली के पट खुलते ही आधी रात से ही पूजा अर्चना के लिए लोगों की भीड़ लगने लगी. पूजा पंडाल में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहा. अकेले भागलपुर शहर में 108 से अधिक स्थानों पर मां काली की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की गयी है. शहर के पूर्वी क्षेत्र में 17, पश्चिमी क्षेत्र में 18, दक्षिणी क्षेत्र में 18 और उत्तरी क्षेत्र में 26 प्रतिमा स्थापित की गयी है. इसके अलावा नाथनगर क्षेत्र में करीब 43 प्रतिमा स्थापित की गयी है. इसी प्रकार सबौर क्षेत्र में भी मां दर्जनों जगहों पर मां काली की स्थापना की गयी है.
कहीं सांस्कृतिक आयोजन, तो कहीं मेला
कहीं सांस्कृतिक आयोजन तो कहीं मेला लगा हुआ है. परबत्ती काली पूजा समिति के अध्यक्ष ज्योतिष मंडल ने बताया कि इस वर्ष समय से पूर्व ही परबत्ती में पंडाल व प्रतिमा निर्माण कार्य कर लिया गया था. परबत्ती में 13 व 14 नवंबर को मेला लगेगा. पार्षद रंजीत मंडल ने बताया कि यहां इस दौरान सांस्कृतिक आयोजन होगा. चुनिहारी टोला में भी परिवार-समाज कमेटी की ओर से प्रतिमा स्थापित की गयी है. 13 नवंबर के भजन-कीर्तन का आयोजन होगा. पंडित चंद्रमोहन झा पूजन करायेंगे. पूजन को लेकर प्रमोद कुमार, विक्की यादव, डिम्मा यादव, विष्णु शर्मा आदि लगे हैं.
17 फीट की स्थापित हुई बमकाली की प्रतिमा
बमकाली पूजा समिति के पदाधिकारी अभय घोष सोनू ने बताया कि बूढ़ानाथ मंदिर समीप बमकाली स्थान में 11 फीट की प्रतिमा बनायी गयी है. साज-सज्जा के बाद यह 17 फीट की हो चुकी है. इसे पूरे विधि विधान के साथ स्थापित किया गया है. 13 नवंबर को यहां भंडारा होगा. बूढ़ानाथ मंदिर समीप मशानी काली पूजा की गयी. आदमपुर चौक समीप काली मंदिर में भव्य तरीके से टुन्नी बल्ब सजाया गया है. मंदरोजा हड़बड़िया काली पूजा को लेकर कोतवाली चौक समीप भव्य तोरणद्वार सजाया गया है.
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बगुलामुखी मंदिर होगा भंडारा व भजन संध्या
लालूचक गुमटी नंबर 12 स्थित श्रीश्री 108 काली तारा बाला बगलामुखी मंदिर में प्रतिमा स्थापित की गयी है. मंदिर परिसर को रंग बिरंगे प्रकाश से सजाया गया है. मंदिर के व्यवस्थापक राजकुमार सिंह ने बताया कि 13 नवंबर को भंडारा होगा. संध्या में भजन संध्या का भी आयोजन किया जायेगा. यहां 50 वर्षों से पूजा की परंपरा है. मुर्तजाचक काली पूजा समिति की ओर से 100 साल से पूजा हो रही है. पंडित रमेशचंद्र झा के मार्गदर्शन में पूजा की गयी है.
विधि-विधान से स्थापित हुई प्रतिमा, पूजा को उमड़े लोग
सुलतानगंज से मिली जानकारी के अनुसार प्रखंड के महेशी, अबजूगंज, कोलगामा, शाहाबाद, दुधैला, उधाडीह, मिरहट्टी, पुरानी दुर्गा स्थान, नयी दुर्गा स्थान, जहांगीरा, गनगनिया, सीतारामपुर व मसदी में काली पूजा को लेकर भव्य प्रतिमा का निर्माण कराया गया है. रविवार की देर रात मां की प्रतिमा की विधि-विधान से पूजा कर स्थापना की गयी. सोमवार व मंगलवार को भक्तों की पूरी भीड़ उमड़ेगी.
सुलतानगंज के दियारावासियों के लिए उत्सव है काली पूजा
मां काली की प्रतिमा दियारावासियों के लिए एक उत्सव लेकर आता है. सुलतानगंज के शाहाबाद, दुधैला व बैकटपुर की काली प्रतिमा को देखने दूर-दूर से भक्त आते हैं. हर घर में मेहमान पहुंच जाते हैं. यहां कई जिले के लोग पहुंचते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गंगा कटाव के बाद नारायणपुर प्रखंड के दुधैला दियारा में 1902 से स्थापित काली प्रतिमा को सुलतानगंज में वर्ष 1984 में लाया गया. काफी संख्या में दूर-दूर से भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और अपनी मन्नतें पूरी होने के बाद चढ़ावा चढ़ाते हैं.
दो दिनों तक मनाया जाता है महाउत्सव
श्रीश्री 108 वैष्णवी काली मंदिर बैकटपुर दुधैला में दो दिनों तक महाउत्सव मनाया जाता है. मेले के दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रम व भव्य मेला का आयोजन होता था. प्रतिमा को अंतिम रूप दिया जा रहा है. मेला कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि मेला की सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है. श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए ग्रामीण युवकों के द्वारा निगरानी किया जायेगा. विगत चार वर्ष से अब शाहाबाद व दुधैला बैकटपुर में दो काली प्रतिमाएं अलग होकर दो स्थान पर स्थापित हो रही हैं. जहां भक्तों की पूरी भीड़ जुटती है.