पटना : जनसंख्या नियंत्रण को लेकर राज्य में दंपतीयों को दर्जनों विकल्प दिया गया है. परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत चलाये जा रहे कार्यक्रम में बाॅस्केट ऑफ च्वाइस की सुविधा दी जा रही है.
इसमें महिला बंध्याकरण, पुरुष नसबंदी, प्रसव बाद बंध्याकरण, गर्भपात के बाद परिवार कल्याण कार्यक्रम, आइयूसीडी, खानेवाली गोली, इमरजेंसी गोली, कंडोम, सूई, सप्ताहिक गोली और अंतरा का विकल्प दिया गया है.
दिलचस्प है कि इन विकल्पों में पुरुष नसबंदी को छोड़कर अन्य विकल्पों को दंपतियों द्वारा अधिक संख्या में अपनाया जा रहा है.
परिवार कल्याण कार्यक्रम को लेकर राज्य में चौतरफा प्रयास किया जा रहा है. जनसंख्या नियंत्रण के लिए राज्य की सभी पंचायतों में हाइस्कूल की शिक्षा आरंभ की गयी है, जिससे लड़कियां आसानी से मैट्रिक तक की शिक्षा प्राप्त करें.
मैट्रिक पास लड़कियों में जन्म दर कम है. इसके अलावा परिवार नियोजन के लिए बाॅस्केट ऑफ च्वाइस का लाभ लोगों तक पहुंचाया जा रहा है.
बाॅस्केट ऑफ च्वाइस के तहत महिला बंध्याकरण को लेकर वर्ष 2019-20 में तीन लाख 98 हजार महिलाओं ने परिवार कल्याण कार्यक्रम का लाभ लिया. सरकार की ओर से महिला बंध्याकरण के लिए प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है.
महिलाओं को बंध्याकरण कराने के बाद दो हजार की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. महिलाओं की तुलना में नसबंदी करानेवाले पुरुषों की संख्या बहुत ही कम है. राज्य में वर्ष 2019-20 में सिर्फ 3400 पुरुषों ने ही नसबंदी करायी.
पुरुषों को नसबंदी कराने पर महिलाओं से एक हजार अधिक तीन हजार रुपये प्रति लाभुक दिया जाता है. इसके अलावा बाॅस्केट ऑफ च्वाइस में यूआइसीडी का प्रयोग किया जाता है. वर्ष 2019-20 में राज्यभर में एक लाख 83 हजार महिलाओं ने इसका प्रयोग किया.
राज्यभर की महिलाओं में गर्भनिरोधक के रूप में खाने की गोली (ओरल पिल) 11 लाख 19 हजार का प्रयोग किया. इधर, पुरुषों के बीच एक करोड़ नौ लाख कंडोम का वितरण किया गया.
गर्भनिरोधक के लिए महिलाओं ने एक लाख 92 हजार इंजेक्टेबल का प्रयोग किया. इसके अलावा साप्ताहिक गोली के रूप में महिलाओं ने चार लाख 44 हजार का प्रयोग किया.
साथ ही महिलाओं ने गर्भनिरोधक के रूप में तीन लाख 50 हजार अंतरा का इंजेक्शन का प्रयोग किया. राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रमों से दंपतीयों के बीच सुविधाएं पहुंचायी जा रही हैं.
Posted by Ashish Jha