भागलपुर. विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय का निर्माण कहलगांव के परशुरामचक एकडारा में किया जाना सबसे अधिक उपयुक्त होगा. इस बात की रिपोर्ट केंद्रीय साइट सेलेक्शन कमेटी ने 02 जुलाई 2021 को भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय को सौंप दी थी. रिपोर्ट सौंपने के बाद एक साल गुजर गया, लेकिन निर्माण की सुगबुगाहट भी शुरू नहीं हो सकी. यह मामला पिछले सात वर्षों से चल रहा है. इस दौरान विभिन्न विभागीय प्रक्रिया कई चरणों में गुजारते हुए पूरी की जा चुकी है. बावजूद इसके भूमि अर्जन और निर्माण की दिशा में पहल नहीं हो पा रही है.
विक्रमशिला महाविहार के पास केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए जिला प्रशासन ने भी सबसे उपयुक्त जगह कहलगांव के परशुरामचक एकडारा को बताते हुए प्रस्ताव भेज दिया है. यहां जमीन के अधिग्रहण करने में अड़चन नहीं है. इस बाबत सुझाव देते हुए एक अनुरोध पत्र जिला प्रशासन ने शिक्षा विभाग को गत दो अप्रैल को भेज दिया है.
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परशुरामचक (एकडारा) : यह भूमि सबसे उपयुक्त है. यह एक कृषि भूमि है और लगभग समतल है. कोई बाहरी अतिक्रमण नहीं है. भूमि दो भागों में है और एक-दूसरे से सटी हुई है. इसे बिना किसी हस्तक्षेप के एक ही परिसर में बनाया जा सकता है. स्थानीय जिला प्रशासन के मुताबिक उपलब्ध भूजल आर्सेनिक प्रभावित है. गंगा नदी से यह स्थल लगभग चार किमी दूर है, जहां से बहुग्रामीण योजना के तहत जल की व्यवस्था की जा सकती है.
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अंतीचक (नंदगोला) : यह जमीन दो हिस्सों में है और एक गांव है. इस भूमि से सार्वजनिक सड़क गुजर रही है और स्थानीय जिला प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार रेलवे लाइन भी क्रॉसिंग कर रही है. यह भूखंड विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं लगता है, क्योंकि अतिक्रमण भी है.
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किशनदासपुर : गंगा नदी के पास स्थित है यह भूमि. स्थानीय जिला प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार कुछ विस्थापित लोग उस भूमि पर रह रहे हैं. यह गंगा नदी के नजदीक भी है. इसलिए यह बाढ़ प्रभावित होने की संभावना है और विस्थापित लोगों द्वारा अतिक्रमण भी किया जाता है.
आरटीआइ कार्यकर्ता अजीत कुमार सिंह ने बताया कि आरटीआइ से केंद्रीय साइट सेलेक्शन कमेटी की रिपोर्ट मांगी गयी थी. बिहार सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने रिपोर्ट उपलब्ध करायी. इसमें परशुरामचक एकडारा की जमीन को लेकर सारी जरूरत पूरी होने का उल्लेख किया गया है. रेलमार्ग पांच किमी, एनएच पांच किमी, एयरपोर्ट 300 किमी की दूरी पर उपलब्ध होने की बात की गयी है. सबकुछ सही होने के बावजूद इतने दिनों में भू-अर्जन शुरू हो जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं होना भागलपुर के साथ उपेक्षा किया जाना है.