पटना. दरभंगा के तत्कालीन सीनियर डीएसपी रहे अरशद जमां आठ वर्षों से नौकरी से गायब चल रहे हैं. इस अवधि में दो बार उनका तबादला भी हो गया है, मगर बगैर कोई वाजिब कारण के आठ वर्षों से उन्होंने योगदान नहीं किया है. अब गृह विभाग ने उन पर विभागीय कार्रवाई की शुरुआत की कर दी है. गृह विभाग ने उन्हें सात दिनों में पुलिस मुख्यालय के आइजी (आधुनिकीकरण) केएस अनुपम के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है.
गौरतलब है कि बतौर दरभंगा मुख्यालय में डीएसपी के तौर पर उन्हें 180 दिनों के लिए अवकाश दिया था. अवकाश की अवधि 29 जुलाई, 2013 को ही पूरी होने के बाद से उन्होंने सेवा में योगदान नहीं किया.
दरअसल, अरशद जमां के अनुपस्थित रहने के कारण कार्रवाई को लेकर विभागीय स्तर पर एक कमेटी बनायी गयी थी. कमेटी के संज्ञान में यह मामला आया कि पटना कोतवाली में डीएसपी के पद पर रहते हुए हिरासत में एक अभियुक्त की मौत हो गयी थी, जिसके बाद उन पर कोतवाली कांड संख्या 503/03 में आइपीसी की धारा 302, 342, 201 और 34 के तहत मामला दर्ज है.
इसके बाद उनका दरभंगा में डीएसपी पद पर तबादला हो गया. सूत्रों की मानें तो डीएसपी ने हिरासत में रहे एक दारोगा के बेटे की इतनी पिटाई कर दी थी कि उसकी मौत हो गयी थी. इसके बाद दारोगा ने उनके खिलाफ मामला दर्ज करवाया था.
गृह विभाग अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में नौ जुलाई, 2021 को बैठक हुई थी. बैठक में कमेटी ने सीनियर डीएसपी अरशद जमां की 30 जून 2013 से कर्तव्य से अनुपस्थिति को सामान्य अनुपस्थिति नहीं माना है. इनके खिलाफ कोर्ट से वारंट जारी है और वह उस कांड में फरार चल रहे हैं. उनका यह आचरण अनुशासनहीनता, स्वेच्छाचारिता, मनमाना, सरकार के आदेश की अवहेलना है.
यह एक वरीय पुलिस पदाधिकारी के आचरण के प्रतिकूल है. विभागीय समीक्षा में पुलिस अधिकारी के विरुद्ध लगाये गये आरोपों के संबंध में तथ्यों का विस्तृत विश्लेषण करने के लिए जांच प्राधिकार की नियुक्ति की गयी है, ताकि उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जा सके. इस संबंध में अपराध अनुसंधान विभाग के डीएसपी अभिजीत कुमार सिंह को प्रस्तुतीकरण पदाधिकारी बनाया गया है.
Posted by Ashish Jha