बिहार दिख रहा ठंड का बेदर्द सितम ! हर रोज दो दर्जन शव पहुंच रहे कहलगांव श्मशान घाट
बिहार में पिछले 10 दिनों से जारी ठंड, कुहासा व कनकनी की चपेट में आने से प्रखंड के ग्रामीण इलाके के गरीब-गुरवे बुजुर्गों पर असमय मौत का पहाड़ टूट रहा है. घाट राजा के अनुसार करीब दो दर्जन शव हर दिन कहलगांव श्मशान घाट पहुंच रहे हैं.
भागलपुर (प्रदीप विद्रोही, कहलगांव): बिहार में पिछले 10 दिनों से जारी ठंड, कुहासा व कनकनी की चपेट में आने से प्रखंड के ग्रामीण इलाके के गरीब-गुरवे बुजुर्गों पर असमय मौत का पहाड़ टूट रहा है. घाट राजा के अनुसार करीब दो दर्जन शव हर दिन कहलगांव श्मशान पहुंच रहे हैं. गोड्डा स्थित मुक्ति धाम से सीमावर्ती इलाके के गरीब-गुरवे अब दाह संस्कार के लिए उत्तरवाहिनी गंगा तट ( कहलगांव ) नहीं पहुंच रहे हैं. नहीं तो इस कड़ाके की ठंड में श्मशान पहुंचने वाले शवों की संख्या ढाई दर्जन से भी अधिक होती.
जैसे-तैसे अंतिम संस्कार कर रहे गरीब
ठंड में मौत से रूबरू होने वाले ऐसे निर्धन परिवार के पास न तो शव दाह के लिए लकड़ी के पैसे रहते हैं और न ही अग्निदान की राशि. निर्धन परिवार जैसे-तैसे शव का दाह संस्कार कर ठिठुरते अपने घर लौटते हैं. शव के साथ आने लोग भी घर पहुंचते ही कोल्ड डायरिया व बुखार की चपेट में आ जा रहे हैं. शव दाह के बाद लोग शुद्ध होना गंगा स्नान से गुरेज कर रहे हैं. शव दाह के बाद अपने गांव-घर भागते हैं. घर पहुंच इस कर्म को पूरा करते हैं.
मुक्ति धाम के निर्माण से गरीबों को राहत
बुजुर्ग परिजन का शव लेकर दाह-संस्कार के लिए कहलगांव श्मशान घाट पहुंचे गोड्डा के एक बुजुर्ग ने बताया कि गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे के प्रयास से निर्मित मुक्ति धाम मध्यम व गरीब-गुरवों के लिए सहारा बन रहा है. मोटी खर्च कर कहलगांव श्मशान आने वाले लोग अब कम खर्च में दाह-संस्कार कर लेते हैं.
गरीबों से 21 रुपये ले घाट राजा दे रहे अग्नि दान
कहलगांव श्मशान के घाट राजा दिलीप मल्लिक ने बताया कि इस ठंड में लगातार कमजोर व गरीब परिवार के बुजुर्ग परिजन लुढ़़क रहे हैं. घाट पर इनकी निर्धनता साफ दिखती है. ऐसे में बहुत निर्धन परिवार को 21 रुपये लेकर अग्नि दान का रस्म अदा कर रहे हैं. लकड़ी डिपो मालिक दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि गरीबों का शव पूरी तरह जले आखरी पल में हम फ्री लकड़ी भिजवा देते हैं. नवनिर्वाचित नपं अध्यक्ष संजीव कुमार ने भी श्मशान पहुंचकर घाट राजा के जबरन उगाही पर लगाम कसते हुए अग्नि-दान के एवज में स्वेच्छा व तय दान राशि लेने को कह चुके हैं.