पटना. तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण की वजह से दवाइयों की भी डिमांड 80 प्रतिशत तक बढ़ गयी है. खासकर कोरोना में चलायी जाने वाली दवाओं की मांग काफी बढ़ी है. ऐसे में डॉक्टरों द्वारा लिखी गयी दवाइयों को खोजने में लोगों को परेशानी हो रही है जबकि उसी कंपोनेंट की दूसरी कंपनी की दवा आसानी से बाजार में मिल जा रही है.
दरअसल एक ही दवा कई कंपनियां बनाती हैं. इनके नाम में थोड़ा बहुत बदलाव होता है. अगर कोई दवा मार्केट में उपलब्ध नहीं है, तो उसके बदले डॉक्टर की सलाह से समान कंपोनेंट की दूसरी दवा खायी जा सकती है.
पटना केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के सचिव राजेश आर्या बताते हैं कि इन दिनों एजिथ्रोमाइसिन, परासिटामोल, विटामिन-सी, जिंक व एंटीबायोटिक टैबलेट की बहुत अधिक डिमांड होने की वजह से समान नाम की दवा खोजने में लोगों को परेशानी होती है. मगर यह दवा बनाने वाली 100 से अधिक कंपनियां हैं, जो अलग-अलग नाम से समान कंपोनेंट की दवा बनाती हैं, जिन्हें डॉक्टर की सलाह लेकर खाया जा सकता है.
पीएमसीएच के सामने की अधिकतर दुकानदारों का कहना है कि कोविड के उपचार के लिये चलायी जाने वाली दवाएं होलसेल बाजार में उपलब्ध ही नहीं हैं. जितना मांग उस हिसाब से दवाइयों की उपलब्धता काफी कम है. इन रिटेल दुकानदारों का कहना है कि हर दिन करीब 500 से 1000 कस्टमर ऐसी दवाओं की खोज में आते हैं, जिन्हें वापस करना पड़ता है.
Posted by Ashish Jha