अनुपम कुमार, पटना. कोरोना की विकरालता से एयर एंबुलेंस की मांग इतनी बढ़ी है कि अब इसे समय पर उपलब्ध करवा पाना मुश्किल हो गया है. पटना के मरीजों को शहर के किसी अस्पताल से दूसरे शहर के बड़े अस्पताल में ले जाने के लिए अब यह नहीं मिल पा रहा है.
पटना एयरपोर्ट पर कई वर्षों से एयर एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करवाने वाले ऑपरेटर अंशु अमन ने बताया कि अप्रैल में 50 से अधिक लोगों ने इसकी सेवा लेने के लिए उनकी कंपनी से संपर्क किया, लेकिन उनमें से महज 12 को वह एयर एंबुलेंस की सेवा दे पाये. इनमें सारे के सारे कोरोना मरीज थे. इस प्रकार लगभग 25% कॉल ही पूरे किये जा सके.
पिछले दो-तीन दिनों से तो स्थिति और भी गंभीर हो गयी है. 20 मरीजों ने उनसे एयर एंबुलेंस से संबंधित पूछताछ की है, लेकिन उनमें से अब तक वह महज एक को ही सेवा दे पाये हैं. इस दौरान अन्य मरीजों को यह सेवा या तो मिल ही नहीं पायी या समय पर नहीं मिलने से उन्होंने खुद इसे लेने से मना कर दिया.
एयर एंबुलेंस नहीं मिलने या देर से मिलने की वजह कभी एयरक्राफ्ट की कमी, तो कभी पायलट और को-पायलट की कमी रही. ऐसी स्थिति तब है, जब कोरोना मरीजों के लिए एयर एंबुलेंस की किराया दर को ऑपरेटरों ने बढ़ाकर सामान्य मरीजों को लेकर जाने वाले ट्रिप की तुलना में लगभग दोगुना कर दिया है.
एयर एंबुलेंस ऑपरेशंस की कमी की एक बड़ी वजह पायलट और को-पायलट की कमी है. तमाम एहतियात के बावजूद वे उड़ान के दौरान इतनी तेजी से कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं कि सेवा के लिए उनकी उपलब्धता बेहद कम हो गयी है.
कोरोना मरीजों से सामान्य की तुलना में डबल किराया लेने के पीछे एयर एंबुलेंस ऑपरेटरों के अपने तर्क हैं. एक ऑपरेटर ने बताया कि एक विशेष प्रकार के स्ट्रेचर में कोविड मरीज को एयर एंबुलेंस में ले जाना पड़ता है. पॉड नामक इस स्ट्रेचर में रखे मरीज के चारों ओर वैक्यूम होता है, जिसके कारण उससे वायरस के बाहर निकलने और एयरक्राफ्ट में बैठे अन्य लोगों के संक्रमित होने की आशंका नहीं रहती. इस पॉड के किराये के ताैर पर ही हर ट्रिप के लिए इसके वेंडर को डेढ़ से दो लाख रुपये तक देना पड़ता है.
शहर सामान्य किराया वर्तमान किराया
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दिल्ली 5 लाख 10 लाख
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मुंबई 12लाख 24 लाख
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पुणे 13 लाख 26 लाख
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चेन्नई 12लाख 23 लाख
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हैदराबाद 10 लाख 20 लाख
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कोलकाता 8लाख 16 लाख
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बेंगलुरु 12 लाख 25लाख
नोट: किराये की ये दरें पटना से अन्य शहरों की हैं.
कोरोना मरीज के स्वास्थ्य की लगातार मॉनीटरिंग के लिए एयर एंबुलेंस में उसके साथ एक या दो डाॅक्टर और पारामेडिकल स्टाफ की टीम होती है. लेकिन, बढ़े डिमांड और हाइ रिस्क के कारण मेडिकल टीम की व्यवस्था भी ऑपरेटरों को मुश्किल पड़ रही है. मुंहमांगी फीस देने के बावजूद कई बार मेडिकल टीम नहीं मिल पाती. बिना उनके कोरोना मरीजों को लेकर उड़ान संभव नहीं हो पाती है.
Posted by Ashish Jha