पटना. बिहार में एम्बुलेंस चालकों की अनिश्चित हड़ताल दूसरे दिन भी जारी है. एम्बुलेंस चालकों की अनिश्चित हड़ताल से मरीजों की सांसे अटकी हुई हैं. खास कर ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों की परेशानी ज्यादा है. शहरी क्षेत्र के मरीजों को भी मुंहमांगी कीमतों पर निजी एम्बुलेंस लेना पड़ रहा है. चालकों की माने तो लगातार एजेंसी और सरकार के माध्यम से अपने लंबित वेतनमान की मांग कर रहे थे. चालकों का कहना है कि वेतन नहीं मिलने से आजिज होकर संघ के आह्वान पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने की फैसला लिया है. एंबुलेंस चालकों के हड़ताल पर चले जाने से ग्रामीण इलाकों में खासकर गर्भवती महिलाएं एवं डिलीवरी मरीजों को बहुत परेशानी हो रही है. इसके अलावा इमरजेंसी सेवा सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. पटना में चल रही वार्ता अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जल्द ही इस समस्या का समाधान निकाल लिया जायेगा.
पटना के ग्रामीण इलाकों में स्थिति काफी गंभीर होती जा रही है. मसौढ़ी अनुमंडल के तमाम प्रखंडों के कुल 12 एंबुलेंस के सभी चालक हड़ताल पर चले गये हैं. अनुमंडल में मसौढ़ी, धनरूआ, पुनपुन और अनुमंडलीय अस्पताल हैं. बताया जाता है कि 5 महीने के बकाया वेतन की मांग को लेकर एंबुलेंस चालक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. ऐसे में सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर अस्पताल प्रबंधक द्वारा तत्काल में एक निजी एंबुलेंस की सुविधा रखने की बात कर रहे हैं. अनुमंडल अस्पताल के प्रबंधक चंद्रशेखर आजाद ने कहा एंबुलेंस चालकों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से मरीजों के बीच परेशानी बढ़ गई है और सबसे ज्यादा परेशानी गांव हाथों से आने वाली डिलीवरी पेशेंट महिलाओं को उनके घर तक पहुंचाने और इमरजेंसी सेवा आदि इसकी नहीं रहने से परेशानी बढ़ गई है, लेकिन इमरजेंसी सेवा को लेकर तत्काल एंबुलेंस को रखने का निर्देश हुआ है. चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि एंबुलेंस चालकों के अनिश्चितकालीन हड़ताल से मरीजों को कठिनाइ तो हो ही रही है, अस्पताल प्रशासन भी परेशान हो चुके हैं. पूरे मसौढ़ी अनुमंडल में 12 एंबुलेंस हैं. जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मसौढ़ी में तीन, धनरूआ में तीन ,पुनपुन में चार और अनुमंडल रेसलर अस्पताल में तीन एंबुलेंस हैं, सभी एंबुलेंस बंद हैं.
इधर, समस्तीपुर से मिल रही सूचना के अनुसार समस्तीपुर में 102 एम्बुलेंस कर्मियों की हड़ताल से जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. एम्बुलेंस हड़ताल के कारण मरीजों को प्राइवेट एम्बुलेंस का सहारा लेना पड़ रहा है. इसके कारण उन्हें आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अपने बकाए वेतन के भुगतान सहित अन्य मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे कर्मियों ने सीएम नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी किया. हड़ताल कर रहे एंबुलेंस कर्मियों का कहना है कि उनके तीन महीने के बकाए वेतन का भुगतान किया जाये, 12 महीने के ईपीएफ की राशि जो वेतन से कटौती कर ली गई है, उसे बैंक में जमा किया जाय और उनकी नियुक्ति पत्र को श्रम अधीक्षक के हस्ताक्षर के बाद निर्गत किया जाये. ऐसी कई मांगों को लेकर वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती उनका हड़ताल जारी रहेगा.
इधर, दरभंगा जिले में हड़ताल के कारण मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं रहने से दर्जनों मरीज निजी वाहनों के सहारे इलाज के लिए डीएमसीएच पहुंच रहे हैं. दरभंगा के सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि एम्बुलेंसकर्मियों के प्रतिनिधियों से हड़ताल तोड़ने के लिए पटना में वार्ता चल रही है. प्रखंडों से मरीजों को डीएमसीएच पहुंचाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गयी है. डीएमसीएच अधीक्षक से वहां तीन-चार निजी एम्बुलेंस की सेवा लेने का अनुरोध किया गया है. सिविल सर्जन का दावा जो रहे, लेकिन सरकारी एम्बुलेंस सेवा ठप रहने से निजी एम्बुलेंस चालकों की चांदी दिख रही है. रेफर किये गये मरीजों को पटना ले जाने के लिए डीएमसीएच में कलसे ही एक भी सरकारी एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं है.
एम्बुलेंस कर्मियों की हड़ताल का डीएमसीएच में व्यापक असर दिख रहा है. सभी दस एम्बुलेंस का परिचालन ठप रहने से इमरजेंसी विभाग से मरीजों को सर्जरी और ऑर्थोपेडिक विभाग में शिफ्ट करने में काफी परेशानी हुई. मजबूरन प्रसूति रोग विभाग से नवजातों को शिशुरोग विभाग ले जाने के लिए तैनात छोटी एम्बुलेंस के जरिए मरीजों को विभिन्न विभागों में शिफ्ट किया जा सका. वहीं दूसरी ओर सरकारी एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं रहनेकी वजह से परिजनों को प्रसूति विभाग से कई प्रसूताओं को टेंपू से घर ले जाना पड़ा. इसबीच एम्बुलेंस चालकों ने अपनी मांगों के समर्थन में सिविल सर्जन कार्यालय परिसर में आक्रोषपूर्ण प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि कई महीनों का वेतन लंबित एचडीआई. एजेंसी की ओर सेलेबर एक्ट के प्रावधानों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. जब तक उनकी मांगें मानी नहीं जाती है तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे.