Durga puja 2022: फेस्टिव सीजन को लेकर पटना में सितंबर माह में भी मिल रहा फलों का राजा आम, जानें भाव

Bihar: पटना की प्रमुख फल मंडियों में सितंबर माह में भी आम मिल रहे हैं. फिलहाल कदमकुआं, राजेंद्र नगर, इनकम टैक्स गोलंबर, पाटलिपुत्र गोलंबर आदि इलाके की कुछ बड़े फल दुकानों में मद्रासी मुंबइया, मालदह, सिपिया, किशुन भोग, सुकुल, मिठुआ, चौसा और बीजू आम उपलब्ध हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 15, 2022 9:50 AM

पटना की प्रमुख फल मंडियों में सितंबर माह में भी आम मिल रहे हैं. फिलहाल कदमकुआं, राजेंद्र नगर, इनकम टैक्स गोलंबर, पाटलिपुत्र गोलंबर आदि इलाके की कुछ बड़े फल दुकानों में मद्रासी मुंबइया, मालदह, सिपिया, किशुन भोग, सुकुल, मिठुआ, चौसा और बीजू आम उपलब्ध हैं.

600 रुपये प्रति किलो तक दाम

फिलहाल आम की कीमत 250 रुपये से 600 रुपये प्रति किलो तक है. सुकुल आम 600 रुपये, तो मिठुआ 400 रुपये प्रति किलो में बिक रहा है, जबकि मद्रासी मुंबइया 250 रुपये, मालदह 300 रुपये, सिपिया 300-400 रुपये, किशुनभोग 400 रुपये, चौसा 250 रुपये और बीजू 600 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है.

बंगाल से मालदह जबकि यूपी से कृष्ण भोग

फल विक्रेता श्याम प्रसाद ने बताया कि मालदह, चौसा और सिपिया आम बंगाल से आ रहा है, जबकि किशुन भोग उत्तरप्रदेश से आ रहा है. प्रसाद ने बताया कि अभी केवल आम के शौकीन लोग खरीद रहे हैं. वहीं, प्रभात कुमार ने बताया कि मद्रासी मुंबइया आम मद्रास से आ रहा है. यह आम सीधे दिल्ली से पटना आता है. जितनी जरूरत होती है, उसके हिसाब से ऑर्डर देते हैं. भाव अधिक होने के कारण माल कम ही मंगाते हैं.

आम के कुछ प्रमुख किस्में

  • बम्बई हरा: यह शीघ्र पकने वाली है तथा जून माह में पकने लगती है. पकने पर डंठल के निकट का स्थान थोड़ा पीला रंग लिए रहता है तथा शेष भाग हरा ही रहता है

  • लंगड़ा: यह उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश की मुख्य किस्म है. यह पंजाब, राजस्थान व गुजरात में भी सफलतापूर्वक पैदा की जा रही है. इसके फल बहुतायत से किन्तु अनियमित रूप से आते हैं. इसका फल पकने के पश्चात भी हरे रंग का रहता है. गूदा हल्के पीले रंग का रसदार, रेशा रहित, विशिष्ट सुगंध वाला व मीठा होता है. इसकी गुठली पतली व चौड़ी होती है.

  • दशहरी: यह उत्तर प्रदेश की सर्वोत्तम किस्म मानी जाती है. इसका फल लम्बा व पकने पर छिलका हल्का पीला रंग का होता है. बाजार में इसकी अधिक मांग रहती है तथा मूल्य अधिक मिलता है. कुछ वर्षो से यह विदेशों में भेजी जा रही है. इसका औसत वजन 100 ग्राम है.

  • चौसा: यह देर से पकने वाली, पीले छिलके की ठोस गूदेदार मीठी व चीनी सुगंध युक्त किस्म है. फल का आकार थोड़ा बड़ा व भार (150 ग्राम से 250 ग्राम तक) होता है. इसमें फल अनियमित रूप से आते हैं.

  • फजली: इसका छिलका पकने पर हल्का हरा, गूदा ठोस व मीठा होता है. यह भी देर से पकने वाली किस्म है. फल का आकार बड़ा व औसत भार 400 से 700 ग्राम तक होता है.

  • गुलाब ख़ास: फल छोटा तथा रंग आकर्षक होता है. इसकी सुगंध अति सुहानी एवं मीठी होती है. यह बिहार राज्य की मुख्य किस्मों में से है.

  • जरदालु: यह अधिक उपज देने वाली किस्म है. फलों का आकार मध्यम, लम्बा और रंग सुनहरा पीला होता है. फल का स्वाद अत्यंत मीठा होता है.

  • हिमसागर: यह बंगाल की प्रसिद्ध किस्म है. फलों का आकार लम्बा होता है. फलों का रंग पीला और फलन अच्छा होता है. फलों का भंडारण क्षमता अच्छी रहती है.

  • हुस्नआरा: इस किस्म के फल मध्य आकार के और लम्बे होते हैं. फलों का रंग हल्का पीला होता है. गूदा हल्के पीला रंग का और मोठा होता है. रेशा बहुत कम और रस अधिक होता है.

  • नीलम: यह एक अधिक फलनेवाली किस्म है, जो दक्षिणी भारत में दो बार फलती है. फल मध्यम आकार के होते हैं. यह दक्षिण भारत के व्यवसायिक और देर से पकने वाली किस्म है. इसमें दिवसीय फलन की समस्या नहीं है.

  • स्वर्णरेखा: इसके फल मध्यम आकार के गोलाकार, चपटे आधारयुक्त और गहरे सिन्दुरी रंग के होते हैं. छिलका मध्यम मोटा, गूदा मुलायम, रेशाहीन और पीले रंग का होता है. फल मीठे रसयुक्त और सुगन्धित होते हैं. वह अगेती किस्म है. यह बहुत अधिक फलती है. इसके भण्डारण में समस्या नहीं है.

  • मल्लिका: इसके फल मध्यम आकार के अच्छे स्वाद और सुवासयुक्त होते हैं. इसका रंग हल्का पीला होता है. फल दशहरी से भी देर से पक कर तैयार होता है. फलों को काफी दिनों तक सामान्य अवस्था में सुरक्षित रखा जा सकता है. यह किस्म गुच्छा रोग से प्रभावित होती है.

  • आम्रपाली: यह आम की एक नई किस्म है, जो भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा दशहरी और नीलम के संकरण से सन 1979 में निकाली गई है. यह हर साल फल देती है और इसके पौधे बौने होते हैं.

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