Durga Puja 2022: आत्म शुद्धि का पर्व है नवरात, जानें डॉक्टरों की नजर में नौ दिनों तक उपवास का महत्व

Durga Puja 2022: आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है. मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है. ये सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली होती हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2022 8:21 AM
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Durga Puja 2022: आज से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है. यह बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है. इसमें नौ दिन मां दुर्गा के अलगअलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा अपने भक्तों को सुख-समृद्धि व खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करती हैं. हर साल आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्र का क्या है विशेष महत्व, व्रत व उपवास का क्या है धार्मिक और वैज्ञानिक पक्ष, शरीर के लिए उपवास क्यों माना जाता है जरूरी…

डॉक्टरों की नजर में उपवास का महत्व

पीएमसीएच की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ अमृता राय कहती हैं, शरीर शुद्धि के लिए उपवास एक प्रभावशाली तंत्र माना गया है. शरीर शुद्ध होने से मन भी शांत और स्थिर हो जाता है, क्योंकि शरीर और मन का गहरा संबंध होता है. इससे हमारे स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है. लेकिन अगर किसी को पहले से कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, तो कुछ भी नया करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें. खासकर गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं.

इन बातों का रखें ख्याल

वरिष्ठ फिजिशियन डॉ बिमल राय कहते हैं, उपवास शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में तो मदद करता ही है, इसके अतिरिक्त यह वजन कम करने और मेटाबालिज्म व क्रॉनिक (पुरानी) बीमारियों के विकास के जोखिम को भी कम करता है. इससे दिल स्वस्थ रहता है और ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है.

शक्ति की आराधना का महत्व

पटना के ब्रह्मा कुमारीज संचालिका बीके संगीता का कहना है कि शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है. आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है. मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है. ये सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली होती हैं. अक्सर मां दुर्गा के हाथों में अस्त्र-शस्त्र दिखाये जाते हैं. उनके चरणों में असुर को दिखाते हैं, इसके पीछे जो रहस्य छिपे हुए हैं, वह हमारे सामाजिक जीवन से भी जुड़े हैं.

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आत्मनिरीक्षण का पर्व है दुर्गोत्सव

मानवता के अंदर जो दिव्यता थी, उस पर आसुरी शक्तियों ने विजय प्राप्त कर ली और दिव्यता लुप्त हो गयी. वर्तमान जीवन में कोई बाहर से शक्ति का आह्वान करने की बात नहीं है. अपने अंदर की दिव्यता, पवित्रता, शांति, शक्ति, आनंद व सुख जागृत करने के लिए कुछ विधि-विधान बनाये गये, कुछ नियम व धारणाएं अपनायी जाती हैं. संयम का पालन किया जाता है, ताकि आप अपने दिव्य शक्तियों को जागृत कर सकें और अपने अंदर की आसुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त कर सकें. कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि नवरात्र उत्सव बुराइयों से दूर रहने का प्रतीक है.

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