बिहार में धूम- धाम से मनाई जाती है दुर्गा पूजा, जानिए राज्य में पूजा की शुरुआत की रोचक कहानी

Durga Puja 2023: बिहार में धूम- धाम से दुर्गा पूजा के त्योहार को मनाया जाता है. राज्य में इसकी शुरुआत की कहानी काफी रोचक है. बता दें कि दुर्गा पूजा के त्योहार को यहां काफी उत्साह के साथ लोग मनाते हैं. मंदिरों में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है.

By Sakshi Shiva | October 17, 2023 11:21 AM

Durga Puja 2023: दुर्गा पूजा की मौजूदा परंपरा की बिहार में शुरुआत की कहानी काफी अच्छी है. मान्यताओं के अनुसार यह परंपरा राज्य में बंगाल से आई है. बंगाल के लोगों ने ही बिहार में विशाल पंडाल और भव्‍य मूर्तियां स्‍थापित करने की परंपरा शुरू की थी. वहीं, आज भी राज्य में कई इलाके है, जहां बंगाल के कारीगर भव्य पंडाल का निर्माण करते हैं. बताया जाता है कि दुर्गा पूजा के मौजूदा स्‍वरूप के पीछे बंगाली लोग है. पंश्चिम बंगाल के अलावा बिहार, झारखंड और असम में धूम- धाम से इस त्योहार को मनाया जाता है. कहा जाता है कि बंगाल से बिहार का नजदीक होना इसका मुख्य कारण है. बिहार का बंगाल से आर्थिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक जुड़ाव रहा है.


दुर्गा पूजा में विशाल पंडाल का होता है निर्माण

बताया जाता है कि बिहार और असम में रेल के विकास के बाद काफी संख्‍या बंगाल से रहने वाले लोग इन क्षेत्रों के रेलवे स्‍टेशनों पर तैनात किए गए थे. यह बात ब्र‍िटिश राज की है. इसलिए खासकर, बिहार और झारखंड के तमाम शहरों में दुर्गा पूजा में विशाल पंडाल बनाया जाता है और इसे बनाने और मूर्तियां स्‍थापित करने की परंपरा रेलवे स्‍टेशनों और रेलवे कालोनियों से शुरू हुई थी. स्‍थानीय लोगों को यह संस्‍कृति काफी अच्छी लगी. दुर्गा पूजा का भव्‍य स्‍वरूप अब राज्य का हिस्सा बन चुका है. त्योहारों में यहां भव्य रुप से तैयारी की जाती है. बताया जाता है कि यहां धीरे- धीरे पूजा का विस्‍तार छोटे शहरों और गांवों तक हुआ. अब यह कई इलाकों में मनाया जाता है.

Also Read: पटना होते हुए समस्तीपुर से मुंबई तक दुर्गा पूजा स्पेशल ट्रेन का परिचालन, इन स्टेशनों पर ठहराव, देखें शेड्यूल
बंगाल के कारीगर पंडाल का करते निर्माण

राज्य में ऐसे कई पंडाल है, जिनका निर्माण 100 सालों से अधिक समय से हो रहा है. वहीं, कई ऐसे इलाके है जहां बंगाल की शैली पर पूजा का पंडाल बनाया जाता है. राज्य में भव्य और आकर्षक पंडाल का निर्माण हो रहा है.गोपालगंज में इस साल दुर्गा पूजा पर वृंदावन की झलक देखने को मिलेगी. इस पंडाल का निर्माण कोलकाता से आए कारीगर कर रहे हैं. पंडाल का डिजाइन वृंदावन के सुप्रसिद्ध प्रेम मंदिर जैसा किया जा रहा है. पंडाल की भव्यता के लिए बिजली के बल्ब और फूलों से आकर्षक सजावट किया जा रहा है. कई कारीगर और मजदूर पंडाल का निर्माण करते हैं. गया में भी वैष्णों देवी मंदिर की तर्ज पर पंडाल का निर्माण किया जा रहा है. इसे भी कोलकाता के कारीगर बना रहे हैं. इसके अलावा पूर्णिया में भी कोलकाता के कारीगर कई पंडालों का निर्माण करते हैं. इन पंडालों को देखने लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है.

Also Read: बिहार: नौकरी का झांसा देकर टेस्ट लेने के नाम पर लाखों की ठगी, जानिए कैसे फर्जी आईडी कार्ड भेज लगाया चूना
पंडालों में भक्तों की उमड़ती है भारी भीड़

पंडालों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. मुजफ्फरपुर में दुर्गा पूजा पंडाल व बड़े स्थानों पर नवरात्रि के दौरान जुटने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को लेकर तिरहुत रेंज के आइजी पंकज सिन्हा ने कंटीजेंसी प्लान तैयार करने का निर्देश जारी किया है. मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर व वैशाली जिले के एसएसपी व एसपी को इस बाबत आइजी कार्यालय से पत्र भेजा गया है. बता दें कि राज्य में भव्य तरीके से पंडाल का निर्माण किया जाता है. ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था के भी बढ़िया इंतजाम किए जाते हैं. नवरात्रि के दौरान वृहद रूप से भीड़ पूजा पंडाल व बड़े जगहों पर जुटेगी. ऐसे में यहां किसी भी अप्रिय घटना के समय वहां से भीड़ को बाहर निकालने के लिए एग्जिट प्लान पहले से तैयार करने का निर्देश है. हॉस्पिटल ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था और रूट चार्ट को भी पहले से तैयार करने को कहा गया है. इसके अलावा सभी टीओपी संवेदनशील और अति संवेदनशील जगहों पर निगरानी रखने को कहा है. आइजी ने थानेदारों को यह भी निर्देश दिया है कि दुर्गा पूजा के दौरान आयोजित होने वाली सांस्कृतिक कार्यक्रम में ग्रामीण इलाकों में हर्ष फायरिंग की घटना बढ़ जाती है. इस पर पूरी तरह से लगाम लगाने को कहा है. थानेदार को अपने-अपने थाना क्षेत्र में शांति समिति की बैठक कर पहले से ही शांतिपूर्ण माहौल में पूजा संपन्न कराने को लेकर रणनीति तैयार करने का आदेश है.

Also Read: बिहार के इस शहर में कई दशकों से चली आ रही है अनोखी परंपरा, कंधे के जरिए किया जाता है दुर्गा माता का विसर्जन..

Next Article

Exit mobile version