राजेश कुमार ओझा
बिहार के गोपालगंज में पूजा पंडाल में मची भगदड़ के कारण तीन लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन से ज्यादा लोग जख्मी हो गए हैं. पटना में इससे भी बड़ा हादसा संयोगवश टल गया.
दरअसल, नवमी पूजा की रात में पटना के पूजा पंडालों में भीड़ उमड़ पड़ी थी.सबसे ज्यादा भीड़ पटना के हार्ट कहे जाने वाले डाकबंगला चौराहे पर थी. इसको लेकर बोरिंग रोड से डाकबंगला की ओर जाने वाले रास्ते को आयकर गोलंबर के पास रोक दिया गया था.
लेकिन, यहां पर पुलिस की उपस्थिति पैसा लेकर घुड़सवारी करवाया जा रहा था. भीड़ ज्यादा होने के कारण कई बार घोड़ा भड़का भी, लेकिन किसी प्रकार से उसे कंट्रोल कर लिया गया. यह सब कुछ मेले के समाप्त होने तक पूरी रात चलता रहा.
लेकिन, पास में खड़ी पटना पुलिस उसे ऐसा करने से रोकने के बदले अपना संरक्षण देती रही. एसडीओ पटना सदर ने कहा कि पटना जिला प्रशासन की ओर से इसकी अनुमति नहीं दी गई थी. इधर, पटना के ट्रैफिक एसपी ने भी कहा कि इस प्रकार की कोई अनुमति नहीं दी गई थी.
जिला प्रशासन और पटना पुलिस की ओर से जब इस प्रकार की कोई अनुमति नहीं दी गई थी तो फिर पटना के सबसे ज्यादा भीड़ भाड़ वाले इस स्थान पर यह सब किसकी अनुमति से चल रहा था? घोड़ा के भड़कने पर भगदड़ मचने पर यह किसकी जिम्मेवारी होती. यह एक बड़ा सवाल है. सबसे बड़ी बात यह सब जहां पर हो रहा था उससे कुछ ही दूरी पर पटना पुलिस की जिप्सी लगी हुई थी.
प्रभात खबर की टीम ने जब उनसे इस संबंध में पूछा तो जिप्सी में बैठे पुलिस पदाधिकारी ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया था. इधर, पटना के ट्रैफिक एसपी का कहना है कि यह सब कैसे हुआ, इसकी जांच करवाता हूं. जो लोग इसमें दोषी पाए जायेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.