दुर्गा पूजा 2023: भागलपुर में इन जगहों पर जाकर करें मूर्ति दर्शन, जानें बांग्ला विधि-विधान से कहां हो रही पूजा
दुर्गा पूजा 2023: भागलपुर में धूम-धाम से नवरात्रा मनाया जा रहा है. शहर में मूर्ति कई जगहों पर स्थापित की गयी हैं. कई जगहों पर हर साल की तरह भव्य पंडाल भी बनाए गए हैं. जानिए कहां बांग्ला विधि-विधान से पूजा की जा रही है.
Durga Puja 2023: दुर्गा पूजा 2023 का रंग पूरी तरह अब चढ़ चुका है. बिहार के हर एक जिले भक्तिमय हो चुके हैं. भागलपुर का दुर्गा पूजा बेहद खास होता है. शहर के विभिन्न पूजा स्थानों में षष्ठी पूजा पर शुक्रवार को मां कात्यायनी स्वरूप की पूजा अलग-अलग समय में विधि-विधान से हुई. वहीं, सप्तमी पर शनिवार को सभी पूजा स्थानों पर प्राण-प्रतिष्ठा पूजन के बाद माता का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया. भागलपुर में तरह-तरह के आकर्षक पंडाल इस बार भी बनाए गए हैं. ये पंडाल लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. हर साल की तरह इस बार भी दशहरा के मेले की तैयारी जोरों पर है. वहीं शहर के अलग-अलग हिस्सों में मां दुर्गा की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है. अगर आप भागलपुर में हैं तो मूर्ति दर्शन करना नहीं भूलें. इस बार महिलाओं ने डांडिया का भी खूब आनंद लिया. शहर में कई जगहों पर डांडिया खेल का आयोजन किया गया.
मारवाड़ी पाठशाला परिसर में पूजा
जुबक संघ के सचिव बबन साहा ने बताया कि मारवाड़ी पाठशाला परिसर में षष्ठी पूजा को बोधन घट स्थापित की गयी. इसे माता का आगमन पूजा भी कहा जाता है. शनिवार की प्राण-प्रतिष्ठा पूजा बांग्ला विधि-विधान से होने के बाद पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं. सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे व आग से सुरक्षा के लिए अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था की गयी है. श्रद्धालुओं के लिए मेला परिसर में प्रवेश द्वार पटल बाबू रोड से व निकासी द्वार आरपी रोड की ओर है. कचहरी चौक पर सत्कार क्लब की पंडाल बनाया गया है. कोषाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि षष्ठी पूजन के बाद माता दुर्गा की ननद को बेल निमंत्रण दिया गया. सप्तमी पर शनिवार को सुबह नौ बजे प्राण-प्रतिष्ठा पूजन की गयी. अष्टमी व नवमी को खिचड़ी व दशमी को हलवा का भंडारा होगा.
Also Read: PHOTOS: भागलपुर में दुर्गा पूजा पंडालों की तस्वीरें देखिए, पूजन व आरती के लिए मंदिर पहुंच रहे भक्त..
दुर्गाबाड़ी, कालीबाड़ी व रिफ्यूजी कॉलोनी में बांग्ला विधि से पूजन
दुर्गाबाड़ी के संयुक्त सचिव निरूपमकांति पाल ने बताया कि सुबह बांग्ला विधि-विधान से षष्ठी पूजन हुआ है. शाम में देवी दुर्गा का बोधन घट स्थापित किया गया. इसके बाद बेल आमंत्रण दिया गया. शनिवार को सप्तमी पूजा होने के बाद नवपत्रिका का प्रवेश होता है. कालीबाड़ी में षष्ठी पूजा बांग्ला विधि-विधान से हुई. इसी दौरान आमंत्रण व अधिवास की रस्म पूरी की गयी. महासचिव विलास बागची ने बताया कि सप्तमी को केला के थंब को केला बहू के रूप में गंगा स्नान कराया गया. इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा के बगल में केला बहू स्थापित की गयी. इसके बाद मां दुर्गा की प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है. माता का मुख्य घट स्थापित किया जाता है.
भागलपुर में यहां भी हो रही पूजा..
शहर के भीखनपुर मिश्रा टोला, मंदरोजा चौक, उर्दू बाजार, परबती, कंपनीबाग, मोहद्दीनगर, महाशय ड्योढ़ी, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, रिफ्यूजी कॉलोनी, गुड़हट्टा चौक, रेलवे दुर्गा स्थान, मानिकपुर, मिरजानहाट, हुसैनाबाद, बड़ी खंजरपुर आदि स्थानों पर भी पूजा हो रही है. अगर आप सबौर में हैं तो ब्लॉक चौक पर दुर्गा मंदिर में हर साल की तरह इस बार भी मूर्ति स्थापित की गयी है. यहां भव्य पंडाल भी बनाया गया है.
महाशय ड्योढ़ी और सूजापुर दुर्गा स्थान में मेढ़ पर मेढ़ चढ़ाया गया
नाथनगर में दुर्गा पूजा धूमधाम से हो रही है. बंगाली पद्धति से पूजा होनेवाले महाशय ड्योढ़ी और सूजापुर दुर्गा स्थान में शुक्रवार को मेढ़ पर मेढ़ चढ़ाया गया. इसे भी विधिपूर्वक ढोल, ढाक, बाजे-गाजे, शंखनाद के बीच संपन्न किया गया. दुर्गा पूजा पर मेढ़ पर मेढ़ चढ़ाने की परंपरा महाशय परिवार के राम घोष के द्वारा संपूर्ण बिहार में पहली बार प्रारंभ किया गया था. तभी से दो चली दुर्गा पूजा अर्थात मेढ़ पर मेढ़ चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गयी. पूजा समिति के महामंत्री देवाशीष बनर्जी ने बताया कि महाशय ड्योढी दुर्गा स्थान से शनिवार की सुबह 6:00 से 6:30 बजे तक कलश भरने का कार्यक्रम बंगाली टोला घाट तक किया गया. कलश यात्रा में कोलाबो नव पत्रिका को बहू के रूप में सजाकर पालकी में डालकर घाट पर पहुंच कर नव द्रव्य से नहलाया गया. वापस आने के बाद कौड़ी भी लुटाया गया. इसके बाद ही सप्तमी की पूजा शुरू होती है.
नाथनगर में दुर्गा मां की पूजा
महाशय ड्योढ़ी के अलावा शहरी क्षेत्र में मनसकामना नाथ, सीटीएस रोड, एमटीएन घोष रोड, पासीटोला, नसरतखानी, नूरपुर आदि में स्थापित दुर्गा मां की पूजा धूमधाम से की जा रही है. पूरा इलाका भक्तिमय है. मंत्रोच्चार और चंडी पाठ से इलाका गुंजायमान है.