पटना. कोरोना संकट से जहां बहुसंख्यक आबादी की आय घटी है, वहीं अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ गया है. संक्रमण से बचाव और कोरोना से इलाज के लिए अब नयी कमोडिटी के रूप में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन सिलिंडर, मास्क, सैनिटाइजर, दास्ताने, दवाइयां आदि लोगों की जरूरत बनते जा रहे हैं. यदि यही हाल रहा तो राज्य में सालाना प्रति व्यक्ति आय में कमी हो सकती है.
सूत्रों का कहना है कि कोरोना संकट से पिछले साल लोग परेशान हुए थे. साथ ही आमलोगों को आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ा था. वहीं, इस साल पहले और अब दूसरे चरण के दौरान कोरोना संक्रमण फैलने से बहुसंख्यक आबादी आर्थिक संकट का सामना झेलने लगी है.
अब तीसरे चरण का कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका सताने लगी है. ऐसे में जहां पिछले साल से ही लोगों की आय में कमी होने से जहां निजी जरूरतों की जैसे-तैसे पूर्ति हो रही थी, वहीं इस साल तो आर्थिक रूप से बहुसंख्यक आबादी की कमर ही टूट गयी है.
कोरोना ने बाजार में नयी कमोडिटी के रूप में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन सिलिंडर, मास्क, सैनिटाइजर, दास्ताने, दवाइयां आदि पैदा कर दी हैं. ये अब भोजन और पानी की तरह ही अनिवार्य आवश्यकताएं बनती जा रही हैं. लोगों को संक्रमण से बचने और जान बचाने के लिए यह जरूरी लगने लगा है.
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन सिलिंडर और कोरोना से संबंधित दवाइयां भी आसानी से आमलोगों को उपलब्ध नहीं हैं. बाजार में तय कीमत से अधिक मूल्य पर इसे लोग जैसे-तैसे खरीद रहे हैं. 10 लीटर का ऑक्सीजन सिलिंडर ऑक्सीजन सहित पटना में 14 हजार तक में लोग खरीद रहे हैं.
वहीं ,करीब 45-50 हजार रुपये वाले पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कीमत की कीमत भी 60-70 हजार रुपये तक जा पहुंची है. कोरोना से संबंधित दवाइयां जैसे पारासिटामोल, एजीथ्रोमाइसिन, रिमडेसिवर आदि अब भी तय कीमत से अधिक में मिल रहे हैं.
Posted by Ashish Jha