Dussehra Puja: पटना के आनंदपुरी में दिखेंगे आदियोगी, कोयंबटूर के तर्ज पर बन रहा है भव्य पंडाल
पूरे देश में दशहरा की जोरों से तैयारी चल रही है. पटना में भी कई जगह भव्य पंडाल बनाए जा रहे हैं. वहीं, आनंदपुरी चौराहे (वेस्ट बोरिंग कैनाल रोड) पर इस साल कोयंबटूर स्थित आदियोगी के विशाल प्रतिरूप के पंडाल का निर्माण किया जा रहा है.
पटना. राजधानी के हर इलाके में दुर्गा पूजा को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. आनंदपुरी चौराहे (वेस्ट बोरिंग कैनाल रोड) पर इस साल कोयंबटूर स्थित आदियोगी के विशाल प्रतिरूप के पंडाल का निर्माण किया जा रहा है. लगभग 50 फुट ऊंचे और 30 फुट चौड़े पंडाल का निर्माण स्थानीय कलाकार राजू अपनी टीम के साथ कर रहे हैं. पंडाल का निर्माण समय से पहले हो इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. मौसम के बदलते मिजाज को देखते हुए पंडाल को वाटर प्रूफ बनाया जा रहा है. पंडाल का निर्माण पटना आर्ट कॉलेज के छात्र सोम का ग्रुप कर रहा है.
पंडाल का मुख्य प्रवेश द्वार आदियोगी होगा
प्रतिमा, पंडाल और सजावट पर इस बार लगभग 10 से 12 लाख रुपये खर्च रखने का लक्ष्य रखा गया है. पूजा में होने वाले खर्च की राशि मुहल्लेवासियों और सदस्यों के सहयोग से जमा की जाती है. इस वर्ष आदि योगी पंडाल के अंदर 1001 हाथ वाली मां दुर्गा आशीर्वादी मुद्रा में दिखेंगी. माता के एक हजार एक हाथ दिखाने का मकसद यहां आने वाले सभी भक्तों के लिए मां दुर्गा का आशीर्वाद का भाव प्रदर्शित करना है. मां दुर्गा के साथ गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती और कार्तिकेय की प्रतिमा काफी आकर्षित करने वाली होगी. प्रतिमा का निर्माण तपश पाल की टीम कर रही है.
पूजा की तैयारी शुरू
श्री विजय वाहिनी दुर्गा पूजा समिति की ओर से महासप्तमी को यहां खीर-पूड़ी का वितरण किया जाता है. महाअष्टमि को घी का हलवा और कन्या पूजन के बाद खिचड़ी बंटती है. दशमी को भंडारा का आयोजन किया जाता है. इसमें चावल-राजमा, बुंदिया और सब्जी का वितरण होता है. भंडारे के दिन लगभग छह से सात हजार श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस बार पूजा समिति की ओर हिमगिरी चौराहे तक की गली के दोनों ओर विभिन्न फूलों सजाया जायेगा. इधर से गुजरने वाले श्रद्धालु को फूलों की खुशबू का एहसास होगा.
’40 वर्षों से हो रही पूजा’
आनंदपुरी हिमगिरी चौराहे के बैनर तले बीते 40 वर्षों से नवरात्र में माता की प्रतिमा की पूजा हो रही है. पहले बोरिंग कैनाल रोड पंचमुखी मंदिर के बगल में प्रतिमा स्थापित होती थी. लेकिन मुहल्लावासियों के अनुरोध के बाद हिमगिरी चौराहे के पास प्रतिमा स्थापति करने को सामूहिक फैसला लिया गया था. प्रतिमा, पंडाल और सजावट हर साल अलग- अलग थीम पर आधारित होता है.