शिक्षा विभाग के सारे दफ्तर, निदेशालय और दूसरी विंग एक अगस्त से पेपर लेस हो जायेंगी. कागजी फाइल का दौर समाप्त हो जायेगा. विभागीय दफ्तर इ-आफिस की शक्ल में नजर आयेंगे. यहां फाइलों और कागजी आदेशों को लेकर इधर-उधर भागते कर्मचारी नहीं दिखाई देंगे. फिलहाल ई ऑफिस के क्रियान्वयन के लिए बकायदा एक फौरी आदेश जारी कर दिया गया है. इसमें कहा गया है कि वर्तमान दस्तावेजी फाइलों को स्टोर रूम में जमा करा दिया जाये. इसकी कवायद भी शुरू हो गयी है.
इ- ऑफिस के कल्चर को विकसित करने के लिए तकरीबन सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों डिजिटल और वचुअल मोड में कामकाज निबटाने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है. विभागीय कामकाज में गति लाने के लिए काफी संख्या में डाटा इंट्री ऑपरेटर्स की नियुक्ति की जा रही है. वित्तीय और प्रशासनिक फाइलों की मंजूरी भी डिजिटल मोड में की जायेगी. इसके लिए सभी अफसरों के डिजिटल सिग्नेचर ले लिये गये हैं. फाइलों के आदान-प्रदान के लिए विशेष सॉफ्टवेयर लांच हो चुका है. शिक्षा विभाग की सभी फाइलों के लाखों पेजों का स्कैन किया जा चुका है.
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी की कवायद अगस्त में शुरू हो जायेगी. एक अगस्त से इसका ट्रायल शुरू हो जायेगा. शिक्षा विभाग ने शिक्षा कोष नाम का एप प्रभावी करने जरूरी दिशा निर्देश जारी कर दिये हैं. शिक्षकों का डेटा अपलोड की कवायद तेजी से चल रही है. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में साढ़े चार लाख शिक्षकों में से करीब एक चौथाई शिक्षकों का डेटा सॉफ्टवेयर में अपडेट हो गया है.
– महकमे में फाइलों का गुम होना बंद हो जायेगा. ””””बाबूगिरी”””” भी खत्म हो जायेगी. कार्यालयों में किसी भी कामकाज के लिए कर्मचारियों से भेंट करने की जरूरत नहीं होगी.
-विभागीय अफसर अपने मातहतों के कामकाज की निगरानी रख सकेंगे. कोई भी डिजिटल फाइल एक जगह डंप नहीं हो सकेगी. उसका क्या स्टेटस है, शीर्ष विभागीय अफसरों को पता होगा.