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‍Bihar Earthquake: बिहार में भूकंप से हजारों लोगों की हुई थी मौत, जानिए साल 1934 के भूकंप की खौफनाक कहानी

Earthquake in Bihar: बिहार में शुक्रवार की देर रात करीब 11:30 बजे भूकंप आया है. इस भूकंप का एपिसेंटर नेपाल था. बताया जा रहा है कि इस भूकंप से नेपाल में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. वहीं, बिहार ने पहले भी भूकंप का खैफनाक मंजर देखा है.

Earthquake in Bihar: बिहार में शुक्रवार की देर रात करीब 11:30 बजे भूकंप आया है. इस भूकंप का एपिसेंटर नेपाल था. बताया जा रहा है कि इस भूकंप से नेपाल में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. बता दें कि इस दौरान राजधानी पटना में भी भूकंप के झटके महसूस किये गये. रात को लोग कुछ जगहों पर लोग घर से बाहर निकल गए. लोगों में भूकंप को लेकर डर पैदा हो गया. पार्क और सड़क पर लोग जमा हो गए. नेपाल में मौत का आंकड़ा अभी बढ़ सकता है. इस भूकंप का आंकड़ा 6.4 होने के कारण कई इमारतें ढह गई. मलबे में दबने के कारण कई लोग जख्मी भी हुए है. इनका अस्पताल में इलाज किया जा रहा है.

दरभंगा में 1839 लोगों की हुई थी मौत

वहीं, बिहार ने भूकंप का खौफनाक मंजर कई बार देखा है. साल 1764 में भूकंप आया था. उस दौरान भूकंप की तीव्रता छह की थी. राज्य में साल 1934 का भूकंप सबसे खौफनाक था. 15 जनवरी 1934 का भूकंप प्रलयकारी था. उस दौरान हजारों लोगों की मौत हो गई थी. कई लोग उस याद के ताजा होते ही आज भी कांप जाते हैं. रिक्टर स्केल पर उस भूकंप की तीव्रता 8.4 आंकी गई थी. जीएसआई के अध्ययन के अनुसार उस भूकंप का सबसे अधिक प्रभाव मुंगेर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा जैसे जिलों में था. आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार साल 1934 में भूकंप से दरभंगा में 1839 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. वहीं, मुंगेर में मरने वालों की संख्या 1260 थी. जबकि, मुजफ्फरपुर में 1583 लोगों की मौत हुई थी. साल 1934 के भूकंप में सैकड़ों मकान धरती में समा गए थे. बड़े- बड़े मकान उस दौरान जमीन में समा गए थे. भूकंप से झटके से पूरा राज्य दहल गया था. लोगों के कानों में जोर की गरगराहट सुनाई दे रही थी. बताया जाता है कि उस दौरान भूकंप के बाद महात्मा गांधी और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद लोगों की मदद के लिए सामने आए थे. भूकंप के कारण मुंगेर का जमालपुर स्टेशव पूरे तरीके से तबाह हो गया था. यहां का बाजार मलबे में तब्दील हो गया था. इसके बाद निर्माण कार्य में सालों लगे थे.

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सात हजार से अधिक लोगों की हुई थी मौत

बिहार में सात हजार से अधिक लोगों की साल 1934 में भूकंप से मौत हुई थी. करीब 3400 वर्ग किलोमीटर के इलाके में भूकंप का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा था. कहा जाता है कि उत्तर बिहार का राजनगर शहर खंडहर में तब्दील हो गया था. राजनगर को इस कारण आज भी खंडहरों का शहर कहा जाता है. यहां लोग धरती के डोलने से दहशत में आ जाते है. मालूम हो कि राज्य में कई ऐसे जिले है तो भूकंपीय सक्रियता वाले इलाकों में आते है. प्रदेश ने अपने इतिहास में कई भूकंप का मंजर देखा है. गौरतलब है कि भूकंप के दौरान शांत रहना बेहद जरुरी है और ऐसी परिस्थिति में दूसरे लोगों को भी शांत करना चाहिए. खुली जगह सबसे सुरक्षित होती है, ऐसे स्थानों पर शरण लेनी चाहिए. शीशा के दरवाजे या खिड़की से दूरी बना लेनी चाहिए. भगदड़ से भी बचने का प्रयास करना चाहिए. घर या बिल्डिंग से बाहर निकलने के लिए कभी भी जल्दबाजी नहीं करना चाहिए.

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भूकंप के दौरान खुली जगह सुरक्षित

भकंप की स्थिति में बाहर रहने पर इमारतों या बिजली के खंभों से दूरी बना लेनी चाहिए. धरती का कंपन बंद होने तक खुली जगह पर होना सुरक्षित होता है. वहीं, गाड़ी चलाने के दौरान रुक जाना चाहिए और एक ही स्थान पर खड़ा होना चाहिए. पालतू जानवरों को भी खोल देना चाहिए, ताकि वह भी भूकंप की स्थिति में सुरक्षित हो सके. वहीं, अगर आसपास कोई चीज जल रही हो तो उसे बुझा देनी चाहिए. भूकंप के दौरान अपनी जान बचाने के लिए सतर्कता जरुरी है.

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