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आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट: बिहार में करीब 50% लोगों के पास फोन नहीं, हैरान कर देने वाली और हकीकत जानें..

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट: बिहार में करीब 50 फीसदी लोगों के पास फोन या मोबाइल नहीं है. केंद्र की रिपोर्ट में कई और हैरान करने वाली हकीकत सामने आयी है. आंकड़े बताते हैं कि बिहार विकास की राह पर है. लेकिन महंगाई परेशान कर रही है.

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट: बिहार में टेली घनत्व 55.4 फीसदी है.भारत में कुल टेली घनत्व 84.5 फीसदी है. इसका मतलब यह हुआ कि बिहार के 55.4 प्रतिशत लोगों के पास मोबाइल और टेलीफोन उपलब्ध हैं. यह खुलासा केंद्रीय आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में हुआ है.

देश में 97 फीसदी से अधिक मोबाइल फोन के ग्राहक

भारत में कुल टेलीफोन ग्राहकों की संख्या 117 करोड़ है. इनमें से 97 फीसदी से अधिक मोबाइल फोन से जुड़े ग्राहक हैं. जून 2022 की स्थिति के अनुसार 83.7 करोड़ ग्राहकों के पास इंटरनेट कनेक्शन है.वहीं- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हिमाचल प्रदेश, केरल, पंजाब, तमिलनाडु और कर्नाटक में टेली घनत्व 100 फीसदी है.

बिहार लाॅजिस्टिक सहूलियत की स्पैरर्स राज्यों की श्रेणी में

केंद्रीय आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में लॉजिस्टिक सहूलियत की दृष्टि से राज्यों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. जिसका वर्गीकरण निर्धारित इंडेक्स पर प्राप्त अंक के आधार पर अचीवर्स,फास्ट मूवर्स और स्पैरर्स के रूप में किया गया है. बिहार इस कैटेगरी के तीसरी श्रेणी यानी स्पैरर्स में है.

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में बिहार ने इसबार चौंकाया

बता दें कि आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में बिहार ने इसबार चौंकाया है. प्रदेश का विकास दर तीसरे नंबर पर है. यानी केवल दो राज्य ही बिहार से विकास दर में आगे हैं. बिहार का विकास दर 10.98 फीसदी है. केवल आंध्र प्रदेश और राजस्थान का ही विकास दर बिहार से अधिक है.

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पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान विकास दर

पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान विकास दर 8.7 फीसदी थी. विकास दर में तेजी का असर प्रति व्यक्ति आय पर भी पड़ा है. बता दें कि लोगों की सलाना आय 2652 रुपए बढ़ी है. इसका उल्लेख केंद्रीय आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है.

वर्ल्ड बैंक से लोन लेकर जीविका की हुई थी शुरुआत

स्वयं सहायता समूह की जीविका दीदियों की तारीफ केंद्र सरकार ने भी की है. बिहार समेत पूरे देश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में ये एक अलग ही क्रांति है. बिहार में सीएम नीतीश कुमार की सरकार ने 2006-2007 में इस योजना की शुरुआत की थी. इसके लिए वर्ल्ड बैंक से लोन लेकर इसकी शुरुआत की गयी थी. अब बजट में बिहार को केंद्र से अधिक अपेक्षाएं हैं.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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