शिक्षा विभाग ने बैंकों को दिया स्कूलों की हाउसकीपिंग का खर्च उठाने का ऑफर प्रपोजल, सालाना 500 करोड़ होंगे खर्च
शिक्षा विभाग ने बैंकों को प्रस्ताव दिया कि राज्य के सरकारी स्कूलों में हाउसकीपिंग पर सालाना 400 से 500 करोड़ रुपये के बीच अनुमानित खर्च आयेगा. अगर इतनी ही राशि कोई बैंक हमें अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड से दे तो हम विभाग के विभिन्न बैंकों खातों को एक ही बैंकों में समाहित कर सकते हैं.
पटना. राज्य के 80 हजार सरकारी स्कूलों में साफ-सफाई सहित हाउसकीपिंग कार्यों पर खर्च होने वाले वित्तीय भार की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग बैंकों को देना चाहता है. मंगलवार को शिक्षा विभाग ने बैंक के साथ इस मुद्दे पर लंबी चर्चा की. इस दौरान शिक्षा विभाग ने बैंकों को प्रस्ताव दिया कि राज्य के सरकारी स्कूलों में हाउसकीपिंग पर सालाना 400 से 500 करोड़ रुपये के बीच अनुमानित खर्च आयेगा. अगर इतनी ही राशि कोई बैंक हमें अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंड से दे तो हम विभाग के विभिन्न बैंकों खातों को एक ही बैंकों में समाहित कर सकते हैं.
शिक्षा विभाग के करीब 50 से 51 हजार करोड़ रुपये जमा
मदन मोहन झा स्मृति सभागार में हुई इस पहली बैठक में बिहार मध्याह्न भोजन निदेशक मिथिलेश मिश्र और माध्यमिक निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव की मौजूदगी में हुई इस बैठक में विभागीय अफसरों ने बैंक अफसरों को बताया कि वर्तमान में विभिन्न बैंकों में कई मदों में शिक्षा विभाग के करीब 50 से 51 हजार करोड़ रुपये जमा हैं. सामान्य तौर पर इतनी राशि बैंकों में हमेशा रहती है. अगर बैंक हमारे स्कूलों की हाउसकीपिंग का खर्चा उठा लें तो विभाग अपनी समूची राशि किसी एक बैंक में जमा कर सकता है. बैंक अफसरों ने इस मामले में सकारात्मक रुख दिखाया है.
प्रपोजल शनिवार तक विभाग को सौंपने के लिए कहा
विभागीय अफसरों ने बैंकों से अपने-अपने प्रपोजल शनिवार तक विभाग को सौंपने के लिए कहा है. उन प्रपोजल का विभाग अध्ययन करेगा. इसके बाद वह किसी निर्णय पर पहुंचेगा. शिक्षा विभाग के अफसरों के साथ बैंक अफसरों की एक अहम बैठक अगले मंगलवार को प्रस्तावित की गयी है. बैठक में माध्यमिक निदेशालय के उप निदेशक अमर भूषण सहित विभिन्न निदेशालयों के डिप्टी डाइरेक्टर भी मौजूद रहे. शिक्षा विभाग इन दिनों स्कूलों में हाउस कीपिंग कार्य को प्राथमिकता की श्रेणी में रख रखा है. इसके लिए वित्तीय प्रबंध के लिए कई जतन किये जा रहे हैं. जिला स्तर पर इस प्रबंध के लिए एजेंसियों का तलाशा जा रहा है.
कई स्कूलों में हाउसकीपिंग व्यवस्था शुरू
राज्य सरकार ने एक सितंबर से राज्य के सरकारी स्कूलों में आउटसोर्सिंग प्रक्रिया के तहत हाउसकीपिंग व्यवस्था शुरू कर दी है. शिक्षा विभाग के प्रशासन निदेशक ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इस संदर्भ में जरूरी दिशा निर्देश जारी किया था. इसके बाद कई स्कूलों को एजेंसियां मुहैया करा दी गयी हैं, जबकि कई स्कूलों में अब तक एजेंसियां नहीं आवंटित हुई है. ऐसे में कुछ स्कूलों में सफाई का काम शुरू हो चुका है जबकि कुछ स्कूलों में शुरू होने का इंतजार है.
Also Read: पटना एम्स में 260 बेड का होगा इमरजेंसी वार्ड, रूमेटोलॉजी व रेयर डिजीज का खुलेगा ओपीडी
ये होंगे काम
हाउसकीपिंग के लिए चयनित एजेंसी सभी स्कूल के सभी कमरों की साफ-सफाई , बैंच डेस्क की सफाई, झाड़ू-पोछा,शौचालय एवं यूरिनल की सफाई आदि की सफाई के सभी तरह के काम करेगी. इसके अलावा यह एजेंसी साफ -सफाई के लिए जरूरी फिनाइल, हार्पिक, तेजाब और लिक्विड हैंड वॉश भी उपलब्ध करायेंगे.
चयनित एजेंसी के साथ होगी बैठक
निदेशक प्रशासन सुबोध कुमार चौधरी ने सभी जिला पदाधिकारियों को चयनित एजेंसी के साथ बैठक करने के लिए कहा है, ताकि इस व्यवस्था को एक सितंबर से सुनिश्चित किया जा सके. आदेश में साफ कर दिया गया है कि विद्यालयों में साफ -सफाई पर होने वाले खर्च को स्कूल और शिक्षा विभाग मिल कर वहन करेंगे.
शिक्षा विभाग उपलब्ध करायेगा खर्च की राशि
दरअसल प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में जरूरत पड़ने पर खर्च की राशि शिक्षा विभाग उपलब्ध करायेगा. इसके लिए स्कूल विभाग से राशि मांग सकते हैं. दूसरी तरफ, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में इस पर खर्च होने वाली राशि का वहन विकास कोष और विद्यार्थी कोष से किया जायेगा.
समग्र शिक्षा के भुगतान अब केवल ऑनलाइन
बिहार शिक्षा परियोजना के निदेशक बी कार्तिकेय धनजी ने राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र लिख कर बता दिया है कि समग्र शिक्षा कार्यक्रम से संबंधित सभी तरह के भुगतान की नयी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. इसके लिए प्रिंट पेमेंट एडवाइस (पीपीए) जनरेट करने होंगे. अगर अभी तक विद्यालय में कंप्यूटर,प्रिंटर और कंप्यूटर ऑपरेटर की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकी हैं, तो इंटरनेट कैफे में जाकर पीपीए जेनरेट किये जायें. जरूरत पड़ने पर बीआरसी पर जाकर भी पीपीए जेनरेट किये जा सकते हैं.
प्रशासनिक कार्रवाई करके तत्काल बताया जाये
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं विद्यालय के सारे रोकड़ बही और लेखा पीएफएमएस के जरिये ही संधारित करने के लिए निर्देशित किया गया है. राज्य परियोजना निदेशक धनजी के मुताबिक अगर इस कार्य में लापरवाही बरती जाती है, तो प्रशासनिक कार्रवाई करके तत्काल बताया जाये. उल्लेखनीय है कि पीपीए जनरेट करने की कवायद स्कूलों के स्तर से किये जाने हैं.