शिक्षा विभाग ने BPSC से चयनित शिक्षकों को दिया अल्टीमेटम, इस दिन तक करें ज्वाइन, नहीं तो जायेगी नौकरी
बिहार लोक सेवा से चयनित शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने अल्टिमेटम दिया है. विभाग ने सभी नव चयनित शिक्षकों को 30 नवंबर तक योगदान देने के लिए कहा है. योगदान न देने वाले शिक्षकों की नौकरी जा सकती है. करीब एक लाख 10 हजार चयनित शिक्षकों में से अब तक 88 हजार ने ही योगदान दिया है.
बिहार शिक्षा विभाग ने मंगलवार को बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा आयोजित परीक्षा से चयनित विद्यालय अध्यापकों के स्कूलों में योगदान को लेकर जरूरी दिशा निर्देश जारी कर दिया है. शिक्षा विभाग ने वैसे विद्यालय अध्यापकों को अल्टीमेटम दिया है जो पहले से किसी सरकारी नौकरी में नहीं थे. विभाग ने कहा है कि ऐसे शिक्षक 30 नवंबर शाम पांच बजे तक अपने विद्यालय में योगदान कर लें. अन्यथा बाद में उनका योगदान विद्यालय में स्वीकृत नहीं किया जायेगा और यह माना जायेगा कि वे विद्यालय अध्यापक बनने के इच्छुक नहीं हैं.
पहले से सरकारी नौकरी कर रहे अध्यापकों के लिए विशेष व्यवस्था
इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव की तरफ से जारी आधिकारिक आदेश में पहले से सरकारी नौकरी कर रहे (नियोजित शिक्षक सहित ) विद्यालय अध्यापकों को योगदान के लिए विशेष व्यवस्था दी है. शिक्षा विभाग ने ऐसे विद्यालय अध्यापकों से कहा है कि अगर उनकी तरफ से अपने नियोक्ताओं को दिये गये त्यागपत्र अभी तक मंजूर नहीं हुए हैं, तो वह सात दिसंबर तक विद्यालय में योगदान कर वहां पढ़ाना प्रारंभ कर दें. नियोक्ताओं की तरफ से जब भी त्यागपत्र स्वीकृत होगा तो उसकी एक कॉपी जिला पदाधिकारी को सौंपनी होगी. ऐसे विद्यालय अध्यापक यदि सात दिसंबर 2023 शाम पांच बजे तक योगदान नहीं करते हैं तो माना जायेगा कि वह विद्यालय अध्यापक बनने के इच्छुक नहीं हैं. यह बात नियोजित शिक्षकों पर भी लागू होगी.
88 हजार शिक्षकों ने ही अब तक दिया योगदान
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक अभी तक राज्य के सरकारी स्कूलों में विद्यालय अध्यापक के रूप में चुने गये 1.10 लाख में से केवल करीब 88 हजार शिक्षकों ने ही विद्यालयों में योगदान दिया है. शेष में नियोजित शिक्षकों की संख्या अधिक है. कुछ हजार की संख्या में ऐसे भी विद्यालय अध्यापक बने हैं, जिन्होंने राज्य के अंदर और दूसरी जगहों पर अपने पूर्व की पदस्थापना पर त्यागपत्र दे दिये हैं, लेकिन अब तक मंजूर नहीं हो सके हैं. ऐसे में वह काफी परेशान है. उनकी परेशानी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने उनके योगदान के संदर्भ में राहत दी है.
शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियो को दी गई हिदायत
इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के लिए विशेष गाइड लाइन जारी की है. माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में बेहतर अनुशासन बनाने के लिए शिक्षकों को बता दिया गया है कि कोई भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मी की तरफ से सोशल मीडिया साइट, समाचार पत्र या टीवी के माध्यम से अनर्गल प्रचार-प्रसार नहीं किया जायेगा. यदि ऐसा किया जाता है तो इसे गंभीर कदाचार माना जायेगा. ऐसे शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों पर कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी.
शिक्षा विभाग ने किसी भी संघ को मान्यता नहीं दी
माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इस आशय के आदेश के पालन कराने के लिए कहा है. माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को बताया है कि विभाग ने शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मियों के किसी भी संघ को मान्यता नहीं दी है. साफ किया है कि किसी भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मी को किसी भी संघ का सदस्य बनने की मनाही है. यदि इनकी तरफ से किसी संघ की स्थापना की जाती है तो या सदस्यता ली जाती है तो इसे गंभीर कदाचार माना जायेगा. ऐसे शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी.
बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाने के लिए दिशा निर्देश जारी
निदेशक ने दो टूक बताया है कि सूचना मिल रही है कि कई शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मी सोशल मीडिया या अखबारों के जरिये अपने विचार प्रकट कर रहे हैं. इसमें सरकारी नीतियों का विरोध किया जा रहा है. इससे राज्य के शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने में बाधा उत्पन्न हो रही है. लिहाजा बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाने के लिए दिशा निर्देश जारी किये गये हैं.
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