बिहार: शिक्षा विभाग ने नैक मूल्यांकन को लेकर बेहतर तैयारी करने वाले कॉलेजों के प्राचार्य व आइक्यूएसी को-ऑर्डिनेटर को राज्य स्तर पर पटना में सम्मानित करने का निर्णय लिया है. सभी अंगीभूत कॉलेजों के साथ ही संबद्ध व प्रोफेशनल कॉलेजों को मूल्यांकन प्रक्रिया से जोड़ने के लिए विभाग ने पहल की है. बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के अंगीभूत व संबद्ध कॉलेजों में चल रही तैयारियों की समीक्षा करते हुए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने मूल्यांकन का राष्ट्रीय महत्व समझाया. उन्होंने कहा कि आपका भवन कितना बड़ा है या इंफ्रास्ट्रक्चर कितना शानदार है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. आपके यहां से जो बच्चे हर साल पढ़कर निकलते हैं, उन्हें इस बात से फर्क पड़ेगा कि आपके संस्थान की ग्रेडिंग क्या है.
सेंट्रल लाइब्रेरी स्थित सीनेट हाल में अपर मुख्य सचिव ने नैक मूल्यांकन के तैयारियों की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि विभाग का पूरा प्रयास है कि सभी उच्च शिक्षण संस्थान नैक मूल्यांकन की साइकिल में प्रवेश कर लें. जब तक आप उसमें नहीं जायेंगे, कोई पहचान नहीं होगी. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि नैक मूल्यांकन का मामला आने पर टीचर और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी की बात होने लगती है. ये समस्याएं पहले भी थी और आगे भी रहेंगी. इसे दूर करने के लिए सरकार और राजभवन के स्तर से प्रयास हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्नातक में सत्र 2023-24 से सीबीसीएस के साथ चार वर्षीय प्रोग्राम लागू हो रहा है. काम का बोझ बढ़ेगा, इसे हमें ही करना है. उन्होंने प्राचार्यों को नियमित क्लास चलाने के लिए भी प्रोत्साहित किया.
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बिहार राज्य उच्च शिक्षा परिषद के शिक्षा सलाहकार प्रो एनके अग्रवाल ने सभी 39 अंगीभूत कॉलेजों के प्राचार्य या आइक्यूएसी को-ऑर्डिनेटर से एक-एक करके नैक को लेकर चल रही तैयारियों के बारे में अपडेट जानकारी ली. अधिकतर कॉलेजों ने एक्यूएआर सबमिट करने की बात कही और मई के दूसरे पखवारे तक एसएसआर सबमिट करने का दावा किया. उन्होंने एलएस कॉलेज, आरडीएस कॉलेज, एमपीएस साइंस कॉलेज, आरबीबीएम कॉलेज व एमडीडीएम कॉलेज सहित कई कॉलेजों की प्रगति की सराहना भी की. प्रो अग्रवाल ने कहा कि 31 मई तक रिपोर्ट सबमिट करने की अंतिम तिथि निर्धारित की गयी है. आखिरी दिनों में सर्वर पर लोड बढ़ जायेगा. ऐसे में प्रयास करें कि 15 मई तक सबमिट हो जाए. इस दौरान लोहिया कॉलेज के को-ऑर्डिनेटर सही जानकारी नहीं दे सके, तो प्रो अग्रवाल ने नाराजगी भी जतायी. वहीं, एमएसकेबी कॉलेज से प्राचार्य या को-ऑर्डिनेटर, कोई नहीं आया था. प्रो अग्रवाल ने कहा कि बिहार विश्वविद्यालय के 42 में 16 कॉलेज अब तक मूल्यांकन की साइकिल में गये ही नहीं.
बिहार विश्वविद्यालय से जुड़े तीन गवर्नमेंट डिग्री कॉलेजों को प्रो एनके अग्रवाल ने अभी से डॉक्युमेंटेशन करने का सुझाव दिया, ताकि मूल्यांकन के लिए निर्धारित पांच साल या दो सेशन का मानक पूरा होने के साथ ही वे आवेदन कर सकें. गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज पकड़ी दयाल, बगहां व शिवहर के प्राचार्यों से कहा कि सत्र 2019-20 से 2022-23 तक का नामांकन रिकॉर्ड, फाइनेंसियल रिकॉर्ड और इंफ्रास्ट्रक्चर सहित अन्य गतिविधियों का रिकॉर्ड दुरुस्त कर लें. उन्होंने कहा कि तीन गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है. पांच साल बाद उन्हें पता चलेगा कि इन कॉलेजों की स्थिति एफिलिएटेड कॉलेजों से भी खराब है, तो क्या होगा.
कुलपति प्रो शैलेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि हम इतिहास की बात करके आगे नहीं बढ़ सकते, बल्कि हमें खुद इतिहास बनाना होगा. यहां के अधिकतर टीचर्स के बच्चे बिहार में नहीं पढ़ते. यहीं से कमी शुरू होती है. जब हमें खुद अपने ऊपर विश्वास नहीं है, तो दूसरे क्या करेंगे. उन्होंने कहा कि यही एक प्रोफेशन है, जहां आपकी सफलता का क्रेडिट आपके छात्रों की सफलता से जुड़ा होता है. उन्होंने कहा कि जो कमियां है, उसे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन जब आप अपनी वीकनेस को स्ट्रेंथ में बदलेंगे, तभी सफलता मिलेगी. बैठक का संचालन आइक्यूएसी को-ऑर्डिनेटर प्रो कल्याण कुमार झा व धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव प्रो आरके ठाकुर ने किया. बैठक में प्रोवीसी प्रो रविंद्र कुमार सहित विवि के सभी अधिकारी मौजूद थे.