पटना. शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने नीति आयोग द्वारा प्रकाशित ताजा रिपोर्ट से असहमति जतायी है. उन्होंने इस रिपोर्ट के आंकड़ों को एकत्र करने और उसके विश्लेषण के तरीकों पर सवाल उठाया है. शिक्षा मंत्री ने किसी विकासशील अर्थव्यवस्था के मानक से अलग एवं इनसे निष्कर्ष निकालने एवं प्रस्तुतिकरण की प्रणाली को असंतुलित बताया है. उन्होंने कहा कि तीन जून को प्रकाशित प्रतिवेदन से सच्ची तस्वीर चित्रित नहीं होती है.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले वर्षों की तुलना में अधिकांश लक्ष्यों में बिहार की स्थिति सुधरी है. समेकित कंपोजिट अंक की बात करें तो 2018 से अब तक प्रतिवर्ष सुधार हुआ है. नीति आयोग के मुताबिक भी राज्य आंकाक्षी श्रेणी से निकलकर परफॉर्मर श्रेणी में आ गया है. इस बार बिहार पांच लक्ष्यों में अग्रणी फ्रंट रनर की श्रेणी में है.
उन्होंने कहा कि स्वच्छता एवं साफ पानी की उपलब्धता संबंधित लक्ष्य संख्या 6 में बिहार ने 91 अंक प्राप्त किये, जो राष्ट्रीय औसत स्तर से आठ एवं शीर्ष श्रेणी के राज्य केरल से दो अधिक है. स्वास्थ्य सुरक्षा एवं स्वस्थ जीवन से संबंधित लक्ष्य संख्या 3 में भी बिहार की असाधारण एवं उल्लेखनीय उपलब्धि है. लैंगिक समानता एवं महिलाओं को सशस्त बनाने संबंधी लक्ष्य संख्या 5 के संबंध में बिहार की अनुकरणीय प्रगति से पूरा देश परिचित है.
श्री चौधरी ने कहा कि ऐसी स्थिति में एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2021 के आंकड़ो के भ्रामक रिपोर्ट से बिहार को हतोत्साहित वांछनीय नहीं है. हम कहां खड़े हैं, से अधिक महत्वपूर्ण है कि हम जा किधर रहे हैं.
नीति आयोग को संग्रहित आंकड़ो का उपयुक्त परिप्रेक्ष्य बताकर विभिन्न लक्ष्यों से जुड़े प्राप्ति की दर, दिशा एवं संकेतों की सही अभिधारणा चित्रित करने का कायदा अपनाना चाहिए. इसी से आमलोगों तक विकास मानकों पर प्रदेश की उपलब्धि की सही तस्वीर पहुंच सकेंगी.
Posted by Ashish Jha