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Education of Bihar : कोई नहीं मिला तो बिहार के इस कॉलेज में ट्यूटर को बना दिया प्रिंसिपल, प्राचार्य सहित 86 पद हैं खाली

इस कॉलेज में 113 शैक्षणिक संवर्ग के पदों में से 86 पद रिक्त हैं. शिक्षकों के पद रिक्त होने से अस्पताल में इलाज और बीडीएस व एमडीएस के विद्यार्थियों की पढ़ाई पर असर दिखने लगा है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 21, 2020 1:21 PM

पटना . राज्य सरकार का इकलौता पटना डेंटल कॉलेज में प्राचार्य से लेकर सभी स्तर के फैकल्टी के पद रिक्त हो चुके हैं. स्थिति यहां तक आ चुकी है कि कॉलेज में सबसे कनीय स्तर यानी ट्यूटर के पद पर काम करनेवाली डॉक्टर को ही कॉलेज का प्राचार्य बना दिया गया है.

इस कॉलेज में 113 शैक्षणिक संवर्ग के पदों में से 86 पद रिक्त हैं. शिक्षकों के पद रिक्त होने से अस्पताल में इलाज और बीडीएस व एमडीएस के विद्यार्थियों की पढ़ाई पर असर दिखने लगा है.

पटना टेंडल कॉलेज अस्पताल में 11 विभागों का ओपीडी और शिक्षण -प्रशिक्षण का काम होता है. इसमें प्रोस्थेटिक विभाग, ओरल सर्जरी विभाग, ओरल पैथोलॉजी विभाग, कंजरवेटिव विभाग, ऑर्थोडांसिया विभाग, पेरियोडांसिया विभाग, डेंटल हाइजीन विभाग, पीडोडांसिया विभाग, ओरल मेडिसिन विभाग और कम्युनिटी डेंटिस्ट्री विभाग शामिल हैं.

इस कॉलेज में नीट से 100 छात्रों को बीडीएस कोर्स में नामांकन होता है, जबकि पोस्ट ग्रेजुएट के नौ कोर्सों में 18 सीटें हैं. पोस्ट ग्रेजुएट में नौ कोर्स की जगह सिर्फ एक कोर्स प्रोस्थेटिक में ही चल रहा है.

शेष आठ विभाग में नामांकन ही नहीं हुआ है. अब प्रोस्थेटिक के शिक्षक भी रिटायर हो चुके हैं, जिससे यह कोर्स भी बंद हो सकता है. डॉक्टरों की कमी से अस्पताल व शैक्षणिक कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो गया है.

फैकल्टी की कमी के कारण 2015 में नामांकन पर लगी थी रोक

पटना डेंटल कॉलेज अस्पताल में फैकल्टी की कमी से 2015 में डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआइ) द्वारा नामांकन पर रोक लगा दी गयी है. फिलहाल इस कॉलेज में कुल 113 पद स्वीकृत हैं. इनमें से 86 फैकल्टी के पद रिक्त है.

प्रोफेसर स्तर के 18 पद स्वीकृत हैं, जिनमें कोई नियमित प्रोफेसर नहीं है, जबकि संविदा पर पांच प्रोफेसर काम कर रहे हैं. कॉलेज में रीडर के कुल 33 पद स्वीकृत हैं, जिनमें नियमित रीडर कोई नहीं है, जबकि संविदा पर सात कार्यरत हैं और 26 पद रिक्त हैं.

इसी प्रकार से लेक्चरर के कुल 53 पद स्वीकृत हैं, जिनमें नियमित कोई भी नहीं है, जबकि संविदा पर आठ कार्यरत हैं और 47 पद खाली हैं. इसी प्रकार से ट्यूटर के 36 पद हैं, जिनमें एक नियमित व छह संविदा पर हैं और 29 पद रिक्त हैं.

कॉलेज का वर्ष 2017 से डीसीआइ द्वारा निरीक्षण ही नहीं किया गया है. कॉलेज के भूतपूर्व प्राचार्य डॉ डीके सिंह के डीसीआइ सदस्य रहने के कारण मान्यता बहाल रही. इस वर्ष शिक्षकों की कमी के बीच डीसीआइ का निरीक्षण होता है, तो मान्यता को लेकर खतरा हो सकता है.

Posted by Ashish Jha

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