पटना. कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर का पीक गुजर जाने से विश्वविद्यालों में एकेडमिक कैंलेंडर को फिर से पटरी पर लाने की उम्मीद बढ़ी है. हालांकि अभी यह उम्मीद धुंधली ही है, लेकिन पटना विश्वविद्यालय समेत राज्य के सभी अन्य विश्वविद्यालयों को अब लग रहा है कि जून में वे एकेडमिक प्रक्रिया को कुछ रफ्तार दे पायेंगे. कोरोना का जो लहर चल रहा था, उससे अब तक तो यही लग रहा था कि जून में भी मई के जैसे ही हालात रहेंगे और कुछ नहीं हो सकेगा.
31 मई को गर्मी छुट्टी भी समाप्त हो जायेगी और इस प्रकार जून का पूरा समय विश्वविद्यालयों को अपना सत्र ठीक करने के लिए मिल जायेगा. राजभवन के द्वारा लिया गया यह निर्णय काफी कारगर सिद्ध हुआ है और अब जून में एकेडमिक को ठीक करने के लिए विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को पूरा समय मिलेगा.
ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी, पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी, मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी यूनिवर्सिटी व आर्य भट्ट यूनिवर्सिटी के संयुक्त कुलपति प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह के द्वारा यह आग्रह किया गया था, जिसे राजभवन ने मान लिया था.
अब जब कोरोना संक्रमितों की संख्या कम रही है. जून में स्थिति सामान्य होने के पूरे आसार लग रहे हैं. फुल फ्लेज्ड विवि खुलने से जून में इसका काफी फायदा होगा. इस निर्णय को अब काफी सराहा जा रहा है.
विश्वविद्यालयों में सारी परीक्षाएं बची हुई हैं. सिलेबस पीछे चल ही रहा है. नामांकन प्रक्रिया भी नहीं शुरू हो सकी. यह सब कुछ मार्च से मई के बीच ही होता था. लेकिन इस दौरान कोरोना की वजह से इनमें से कुछ भी नहीं शुरू हो सका.
विश्वविद्यालय अभी-अभी कोरोना की पिछली मार से उबरे ही थे और एकेडमिक कैंलेंडर ने रफ्तार पकड़ना शुरू ही किया था कि फिर से दूसरी लहर आ गयी. इस बीच कई परीक्षाएं तेजी से विश्वविद्यालयों के द्वारा आयोजित की जाने लगी थी लेकिन फिर से एकाएक वह रूक गया. नये सत्र में नामांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन तक की प्रक्रिया नहीं शुरू हो पायी. विकास के कार्य तो प्रभावित हैं ही. सामान्य रूटीन वर्क भी नहीं हो पा रहा है.
Posted by Ashish Jha