पटना. कोरोना की तीसरी लहर के दौरान नियमित इलाज न मिलने से कैंसर के मरीजों की समस्या गंभीर हो गयी है. जिन मरीजों का कैंसर अर्ली स्टेज में ठीक हो सकता था, उन्हें अब एडवांस स्टेज यानी कैंसर गंभीर होने के बाद इलाज मिलना संभव हो पा रहा है.
शहर के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच और एम्स जैसे सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के कैंसर रोग विभाग में करीब कैंसर के हर 100 महिला मरीजों में 50 से 60 कैंसर रोग की एडवांस स्टेज में आ रही है. यही कमोबेश हालत पुरुषों में भी देखने को मिल रही हैं.
आइजीआइएमएस व पटना एम्स अस्पताल में ओपीडी पूरी तरह से बंद हो गया था. सिर्फ ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ही हो रहे थे. वहां सिर्फ कोरोना के मरीजों का ही इलाज किया जा रहा था. कैंसर मरीजों का इलाज नहीं मिलने से जख्म और गहरा होते गया, नतीजा बीमारी एडवांस स्टेज में जा पहुंची.
अब ओपीडी खुलने के बाद पुराने और नये मरीज भी आ रहे हैं. ऐसे में अस्पताल प्रशासन मरीज के साथ-साथ उनके पारिवारिक सदस्यों की भी स्क्रीनिंग करा रहा है. यही हाल कमोबेश पीएमसीएच व एनएमसीएच अस्पताल का है.
आइजीआइएमएस के कैंसर रोग विभाग के डॉ. शशि सिंह पवार ने बताया कि कोरोना काल में अस्पतालों में नियमित जांच और ऑपरेशन सही तरीके से नहीं हो सका. हालांकि पीएमसीएच, एनएमसीएच व आइजीआइएमएस में इमरजेंसी में मरीजों का इलाज किया जा रहा था. लेकिन साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण दूसरे जिले के मरीज समय पर पटना नहीं पहुंच पाये. इससे समय पर मरीजों को इलाज नहीं मिल पाया.
डॉ. शशि पवार ने बताया कि बहुत से मरीज ऐसी स्थिति में आ रहे हैं, जिन्होंने किसी दूसरे अस्पताल में इलाज कराया, लेकिन इलाज के बावजूद उन्हें कैंसर का पता नहीं चल पाया. ऐसे में कैंसर गंभीर हो गया, तब इलाज के लिए वह शहर के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में आ रहे हैं. हालांकि कैंसर मरीजों की गंभीर हालत को देखते हुए इलाज करने वाले डॉक्टरों और विभाग में अलर्ट जारी करते हुए तत्काल प्रभाव से इलाज करने का निर्देश जारी किया गया है.