देश में पहली बार 120 साल बाद दशकीय जनगणना पर ब्रेक लग गया. वर्ष 2021 गुजर गया और 10 वर्षों के बाद होनेवाली जनगणना नहीं हुई. जनगणना से देश व राज्यों की वृद्धि दर के साथ अन्य सभी विकास के आंकड़ों की सूचनाएं मिलती हैं. यह एक प्रकार का दृष्टिपत्र है जो पहली बार कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गया. अब भारत सरकार जनगणना के अनुमानित आंकड़े जारी कर सकती है.
स्वामित्व की जानकारी मिलती. स्वच्छ भारत अभियान की अपडेट जानकारी जिसमें हर घर में शौचालय का प्रयोग, पेयजल की आपूर्ति की स्थिति, बिजली कनेक्शन,रसोईघर में गैस कनेक्शन रेडियो, टीवी, टेलीफोन, मोबाइल, स्मार्टफोन, साइकिल, स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार जीप, परिवार के सदस्यों का बैंक खाता सहित इससे पुरुष, स्त्री, अन्य लिंग की सूचनाएं उपलब्ध होती. साथ ही पिछले 10 वर्षों के दौरान जनसंख्या में आये बदलाव की जानकारी मिलती. गौरतलब है कि बिहार में 1901 से लगातार प्रत्येक दस साल पर जनगणना करायी जा रही है.
जनगणना होती, तो सरकार के पास 34 प्रकार की सूचनाएं उपलब्ध हो जातीं. 2019 से ही इसकी तैयारी आरंभ की गयी थी. कोविड 19 के कारण जनगणना की सभी तैयारियां धरी रह गयीं. जनगणना में न सिर्फ परिवार और उसके सदस्यों की सूचना के अलावा मकान के फर्श, दीवार और छत की सूचनाएं भी मिल जातीं.
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भारत में जनगणना का इतिहास काफी पुराना है. 2011 तक भारत की जनगणना 15 बार की जा चुकी है. 1872 में जनगणना ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड मेयो के अधीन पहली बार करायी गयी थी. उसके बाद हर 10 वर्ष बाद जनगणना करायी गयी. हालांकि भारत की पहली संपूर्ण जनगणना 1881 में हुई.
1949 के बाद से यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त द्वारा करायी जाती रही है. 1951 के बाद हर दस साल में जनगणना करायी गयी. 2011 में अंतिम जनगणना हुई थी तथा 2021 में अगली जनगणना कराने की योजना थी. कोरोना के कारण यह नहीं हो सका.