मधेपुरा. स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव के 60 दिनों में बदलाव के दावों का कहीं असर होता नहीं दिख रहा है. बिहार के सरकारी अस्पतालों की स्थितियां ज्यों की त्यों बनी हुई है. न संसाधन बढ़े न सफाई सुधरी. हालात जैसे थे वैसे ही आज भी हैं, जबकि 60 दिनों की समय सीमा अब खत्म होनेवाली है. उपमुख्यमंत्री बेशक पटना के अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं, लेकिन मधेपुरा सदर अस्पताल की जो तस्वीर सामने आयी है वो स्वास्थ्य महकमे में छाये अंधेरे का दिखाता है. मधेपुरा सदर अस्पताल में मरीजों का इलाज सेलफोन की रोशनी में किया जाता है.
सोशल साइट पर वायरल हो रही तस्वीर के संदर्भ में कहा जा रहा है कि यह तस्वीर रविवार रात की है. मधेपुरा सदर अस्पताल में बिजली घंटों गुल रहती है. जेनरेटर की यहां कोई व्यवस्था नहीं है. शाम के बाद अगर बिजली गुल होती है तो पूरे अस्पताल में रोशनी की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. यहां डॉक्टर मोबाइल फोन की रोशनी से इमरजेंसी में मरीजों का इलाज करते हैं. अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन इस अंधेरे से परेशान रहते हैं.
अस्पताल के लोग इस संदर्भ में कहते हैं कि कई बार इस मामले में विभाग से बात की गयी है लेकिन अब तक सदर अस्पताल में बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई. बिजली गुल होने के बाद वार्डों के साथ साथ इमरजेंसी में भी अंधेरा छा जाता है. जिला अस्पताल होने के कारण दूरदराज से आये मरीजों का इलाज मोबाइल की रोशनी में करना पड़ता है. मरीजों और परिजनों का कहना था कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग चाहे जितना भी दावा कर ले लेकिन सच्चाई कुछ और ही है.