पटना. पिछले दिनों पटना के बाकरगंज इलाके में गैस सिलेंडर ब्लास्ट में झुलसे एक मराठी परिवार के चार सदस्यों को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने खर्चे पर एयरलिफ्ट कराया है. मराठी परिवार के तीनों झुलसे सदस्य पटना से एयर एंबुलेंस के जरिये पुणे पहुंच चुके हैं.पटना से पुणे पहुंचने तक एकनाथ शिंदे खुद देर रात जागकर मॉनिटरिंग करते रहे.
घटना के संबंध में बताया जाता है कि पिछले 14 तारीख को पटना के बाकरगंज इलाके में मराठी परिवार के चार सदस्य सिलेंडर ब्लास्ट में बुरी तरह झुलस गये थे. पटना में इलाज का कोई सही इंतजाम नहीं था. घायल लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ी थी. तभी इसकी जानकारी महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे को मिली. शिंदे ने तत्काल इस परिवार को सही इलाज के लिए अपने खर्चे पर एयरलिफ्ट कराया. पीड़ित परिवार कह रहा है कि एकनाथ शिंदे इंसान नहीं भगवान हैं. अगर वे नहीं होते तो लोग इलाज के बिना तड़प तड़प कर मर जाते.
बताया जाता है कि अमोल जाधव पटना के बाकरगंज के नागेश्वदर कॉलोनी में अपने परिवार के साथ 1978 से रह रहे हैं. पटना में उनका अपना तीन मंजिला मकान है. अमोल जाधव का अपना व्यवसाय भी है. 14 जुलाई की रात पूरा परिवार सोया था. रात के दो बजे अमोल जाधव की पत्नी रोहिणी की नींद खुली और उसकी नजर किचन में जलती हुई लाइट पर पडी. उन्होंने जैसे ही किचन के लाइट का स्वीच ऑफ किया वैसे ही धमाका हो गया. किचन में रखा सिलेंडर ब्लास्ट हो गया. आग का तेज लपेटा पूरे घर में फैल गया और अमोल और उनकी पत्नी रोहिणी के साथ ही बेटी लिपिका और बेटा संग्राम गंभीर रूप से झुलस गये. धमाका इतना तेज था कि पूरा मोहल्ला दहल गया.
झुलसे लोगों को तत्काल पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल पहुंचाया गया. वहां बर्न केस के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं थी. इसके बाद सभी को एक प्राइवेट हॉस्पीटल ले जाया गया. लेकिन, उस अस्पताल में भी कहा गया कि यहां वेंटिलेटर नहीं है. घायलों को लेकर लोग पटना के अस्पतालों में भटकते रहे, लेकिन इलाज की कोई व्यवस्था नहीं थी.
इस बीच, अमोल जाधव के भाई किरण जाधव को सूचना दी गयी. पूणे में पेशे से डॉक्टर किरण जाधव ने पटना के पारस अस्पताल में बात की औऱ वहां सभी को भर्ती करवाया, लेकिन पारस अस्पताल में भी बर्न केसेज के लिए कोई अलग व्यवस्था नहीं थी. पुणे से पटना पहुंचे किरण ने अपने खर्चे पर एयर एंबुलेंस बुक और उससे भाभी रोहिणी को पुणे के सूर्या अस्पताल में ले गये. किरण उसी एयर एंबुलेंस से दो और मरीज को ले जाना चाहते थे, लेकिन सिर्फ एक मरीज को ले जाने की ही व्यवस्था थी.
एयर ऑथरिटी ने कहा कि तीन मरीजों को ले जाने के लिए वे तीन दफे एयर एंबुलेंस का इंतजाम करें. निराश किरण जाधव पटना में बैठ कर लोगों से मदद की गुहार लगा रहे थे कि 16 जुलाई की रात साढ़े 11 बजे उनके मोबाइल पर मुंबई से मुख्यमंत्री आवास से फोन आ गया. लाइन पर सीधे महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे थे.
शिंदे ने बताया कि उनके मुख्यमंत्री आवास में काम करनेवाले एक कर्मचारी जो कि डॉ. किरण जाधव के रिश्तेदार हैं, उन्होंने घटना की जानकारी दी है. जैसे ही शिंदे को यह जानकारी मिली वो एक्टिव हो गये. 16 जुलाई की रात एकनाथ शिंदे ने खुद किरण जाधव से बात की. 12 घंटे के भीतर 17 जुलाई की सुबह पटना में एकनाथ शिंदे की ओर से भेजा गया एयर एबुंलेंस पहुंच गया. डॉ. किरण ने मीडिया को बताया कि सीएम एकनाथ शिंदे ने खुद के खर्च पर दो दफे पटना में एयर एंबुलेंस भेजा.
डॉ. किरण जाधव ने बताया कि वे एकनाथ शिंदे से कभी नहीं मिले हैं और ना ही उनसे किसी तरह की कोई जान पहचान है. डॉ किरण ने कहा कि अब उन्हें उम्मीद है कि उनका परिवार बच जायेगा. किरण ने कहा कि यह दुखद है कि बिहार में कोई बर्न अस्पताल नहीं है. अमोल के भाई किरण जाधव की पढ़ाई तो पटना में ही हुई, लेकिन उसके बाद वे मेडिकल की पढाई करने बाहर गये. डॉक्टर बनने के बाद उन्होंने बिहार के बादले महाराष्ट्र के पुणे में अपना अस्पताल खोल लिया.