स्मार्ट मीटर की परेशानी के बोझ तले दब रहे बिजली उपभोक्ता, इन टिप्स को फॉलो कर परेशानियों से बचें
बिहार में स्मार्ट मीटर (Smart meter) के उपभोक्ताओं को पेनाल्टी लगने से परेशानी हो रही है. दरअसल, मीटर पर तय से अधिक लोड पड़ने से उपभोक्ताओं पर पेनाल्टी लगायी जा रही है. ऐसे में बिजली बिल अधिक आने पर उपभोक्ता परेशान हो रहे हैं.
पटना: बिहार में स्मार्ट मीटर के उपभोक्ताओं को पेनाल्टी लगने से परेशानी हो रही है. दरअसल, मीटर पर तय से अधिक लोड पड़ने से उपभोक्ताओं पर पेनाल्टी लगायी जा रही है. ऐसे में बिजली बिल अधिक आने पर उपभोक्ता परेशान हो जाते हैं और अधिक बिलिंग की शिकायत लेकर विद्युत प्रमंडल के कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं.
उपभोक्ताओं को नहीं मिल पाती है सूचना
बड़ी बात यह है कि लोड बढ़ने और पेनाल्टी लगने की पूर्व सूचना उपभोक्ताओं को नहीं मिल पाती. पेसू के एक वरीय अधिकारी ने बताया कि स्मार्ट मीटर बिजली की खपत को हर समय मॉनीटर करता रहता है. हर आधे घंटे बाद लोड की रीडिंग ली जाती है. पूरे 30 दिनों तक लिये गये आंकड़े में जो अधिकतम लोड होता है, उपभोक्ता के लिए स्वीकृत लोड से उसके अधिक होने पर बिलिंग डेट को स्मार्ट मीटर उपभोक्ता के अकाउंट से पेनाल्टी काट लेता है और इससे उपभोक्ता का बिजली बिल बढ़ जाता है. उपभोक्ता इसे स्मार्ट मीटर की तेज चाल या गड़बड़ी समझ लेते हैं.
लोड को बढ़ा कर परेशानी से बचें उपभोक्ता
बिजली विभाग के वरीय अधिकारी की माने तोखपत के अनुरूप लिये गये लोड को बढ़ा कर इस समस्या से बचा जा सकता है. स्मार्ट मीटर में लोड बढ़ाने के लिए कोई सिक्युरिटी मनी नहीं लगती है, बल्कि आवेदन फीस देकर ही इसे बढ़ाया जा सकता है, जो सिंगल फेज के लिए 82 रुपये और ट्रिपल फेज के लिए 236 रुपये है. पेसु के अधिकारी की मानें, तो पहले भी मैक्सिमम डिमांड चार्ज लगता था.
उपभोक्ता हो रहे परेशान
सीडीए कॉलोनी के निशांत श्रीवास्तव स्मार्ट मीटर लगने के बाद से परेशान थे. गर्मी आने के साथ ही उनका बिजली बिल बहुत बढ़ गया था. एसी वे पहले भी गर्मी में चलाते थे, लेकिन इतना अधिक बिल नहीं जाता था. बाद में बिजली बिल का डिटेल निकलवाने पर मालूम हुआ कि ऐसा दो किलोवाट के लोड से अधिक खपत बढ़ जाने के कारण हो रहा है. वहीं, एजी कॉलोनी के रहने वाले संजय मिश्रा भी स्मार्ट मीटर लगने के बाद से दो-तीन महीने तक काफी परेशान रहे. महीने में किसी एक दिन अचानक उनके अकाउंट से 100-150 रुपये अधिक कट जाते थे, जबकि बिजली की खपत में पहले की तुलना में बहुत अंतर नहीं होता था. बाद में मामला ओवरलोड का निकला, जिससे पेनाल्टी लग रही थी.