केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि आपातकाल (इमरजेंसी) भी जेपी के जज्बे को न रोक सकी. लोकनायक जय प्रकाश नारायण का जीवन पिछड़ों एवं दलितों को समर्पित रहा. केंद्रीय गृह मंत्री ने ये बातें छपरा में कहीं. उन्होंने कहा कि जो लोग आज लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सिद्धांतों को छोड़कर कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ गये हैं, उनके खिलाफ दिल खोलकर नारा लगाइए.
उन्होंने कहा कि मैं जयप्रकाश नारायण की इस महान जन्मभूमि पर आया हूं. यहां जो आदमकद से भी ऊंची प्रतिमा लगायी गयी है, उसका प्रण हमारी सरकार ने किया था. कैबिनेट में इसका प्रस्ताव पास किया. आज वह प्रण जेपी की जयंती पर पूरा हो रहा है. गृह मंत्री अमित शाह छपरा में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर उनकी मूर्ति के अनावरण के बाद एक जनसभा में कहीं.
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अमित शाह ने कहा कि जेपी सारी जिंदगी देश की आजादी के लिए लड़े. उनका पूरा जीवन भूमिहीन, पिछड़ों, दलितों के हितों को समर्पित रहा. जब सत्ता लेने की बात आयी, तो उन्होंने उसे छोड़ दिया. श्री शाह ने कहा कि 70 के दशक में सत्ता के मद में चूर एक सरकार ने देश में इमरजेंसी लगायी, तो जेपी ने इसके खिलाफ आवाज उठायी.
अमित शाह ने कहा कि वर्ष 1973 में गुजरात में इंदिरा गांधी की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार थी, जिसके मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल थे. वहीं, बिहार में अब्दुल गफ्फार मुख्यमंत्री थे. उस समय भ्रष्टाचार को रोकने के लिए गुजरात के विद्यार्थियों ने आंदोलन शुरू किया, उसका नेतृत्व जेपी ने किया और गुजरात में सत्ता बदल दी.
इसके बाद बिहार के गांधी मैदान में आंदोलन किया, जहां की भीड़ देखकर इंदिरा गांधी के पसीने छूट गये और उन्होंने देश में इमरजेंसी लगाकर जेपी को जेल में डाल दिया. वर्ष 1942 के आंदोलन में जिस व्यक्ति को हजारीबाग की जेल न रोक सकी, उस जेपी को इंदिरा गांधी की तत्कालीन सरकार भी नहीं रोक सकी. जब इमरजेंसी खत्म हुई, तो जेपी ने पूरे विपक्ष को एक किया और पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार बनाने का काम किया.
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अमित शाह ने कहा कि जेपी और विनोबा भावे के सर्वोदय के सिद्धांत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अपना रही है. हर घर में राशन, बिजली, गैस कनेक्शन और हर गांव को सड़क से जोड़ने का काम मोदी सरकार कर रही है. जेपी के संपूर्ण क्रांति के नारे को सफल बनाने में प्रधानमंत्री मोदी जुटे हुए हैं. उनके नेतृत्व में गरीबों का जीवन स्तर सुधारने का काम हो रहा है.
श्री शाह ने कहा कि वर्ष 1974 में जेपी ने बिहार में राजनीतिक आंदोलन किया, तो सभी विचारधारा के विद्यार्थियों ने उस आंदोलन में सहयोग किया. आज मैं बिहार से पूछ रहा हूं कि जेपी के आंदोलन से निकलकर राजनीति करने वाले नेता आज सत्ता के लिए कांग्रेस की गोद में बैठ गये, क्या आप उनसे सहमत हैं? ऐसे में बिहार की जनता को तय करना है कि जेपी के सिद्धांतों पर चलने वाली प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सरकार चाहिए या जेपी के सिद्धांतों से भटककर सत्ता के लिए समझौता करने वाली गठजोड़ की सरकार चाहिए.