बिहार में करीब 600 नये बालू घाटों की बंदोबस्ती प्रक्रिया मार्च 2023 तक पूरा होने की संभावना है. जिसके बाद इसी साल इन घाटों से खनन शुरू होने की भी संभावना है. इसमें से करीब 218 घाटों की बंदोबस्ती की प्रक्रिया हो चुकी है. साथ ही करीब 100 घाटों की पर्यावरणीय मंजूरी के लिए आवेदन दिया जा चुका है. यह नयी बंदोबस्ती प्रक्रिया अगले पांच साल तक के लिए हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने नया डीएसआर बनाने का दिया था निर्देश
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने बालू घाटों की बंदोबस्ती प्रक्रिया के लिए नया डिस्ट्रिक सर्वे रिपोर्ट (डीएसआर) बनाने का निर्देश देने के साथ साथ इसी आधार पर नयी बंदोबस्ती करने का आदेश भी दिया था. फिलहाल राज्य में पहले से पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त घाटों से बालू का खनन हो रहा है और निर्माण कार्यों के लिए बालू मिल रहा है. इसके लिए मार्च 2023 तक की मंजूरी दी गयी है.
35 जिलों में खनन के लिए चल रही प्रक्रिया
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिहार राज्य खनन निगम के माध्यम से नये घाटों की बंदोबस्ती प्रक्रिया की जा रही है. पहले केवल 16 जिलों में ही बालू खनन हो रहा था, लेकिन अब करीब 35 जिलों में खनन के लिए बंदोबस्ती प्रक्रिया चल रही है. इस खनन प्रक्रिया में लाल और सफेद बालू के घाट शामिल हैं.
बालू की कीमत में आ सकती है कमी
बंदोबस्ती प्रक्रिया के बाद इन सभी घाटों से नये वित्तीय वर्ष 2023-24 में खान एवं भूतत्व विभाग को मिलने वाले राजस्व में भी बढ़ोतरी होने की संभावना है. सूत्रों का कहना है कि राज्य में बालू खनन के जिलों की संख्या बढ़ने से संबंधित जिलों में दूर-दराज से बालू पहुंचने वाली लागत में कमी आयेगी. इससे आने वाले समय में बालू की कीमत में कमी आ सकती है.