पटना. विधानसभा में बुधवार को बिहार अभियंत्रण विश्वविद्यालय विधेयक, 2021 पारित हो गया. विभागीय मंत्री सुमित कुमार सिंह ने इस नये विश्वविद्यालय के बारे में जानकारी दी. उन्होंने सदन को बताया कि इस नये विवि के अंतर्गत राज्य के सभी निजी और सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज आयेंगे. इसके अलावा सभी आइटी, ऑर्टिटेक और यांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी, वास्तुकला एवं योजना में स्नातक य अन्य सभी उच्च स्तर डिग्री से जुड़े पाठ्यक्रम चलाने वाले संस्थान इसके अंतर्गत आयेंगे.
इस तरह का कोई कोर्स चलाने वाले संस्थानों को इससे एफ्लिएशन लेना अनिवार्य होगा. इस विश्वविद्यालय का कार्य परीक्षा लेना, मूल्यांकन करना और उपाधि देने के अलावा अन्य सभी कार्य होंगे. विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक विवि के कुलाधिपति मुख्यमंत्री होंगे, जबकि कुलपति पद की जिम्मेदारी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के व्यक्ति को दी जायेगी.
इस विधेयक को पारित होने के दौरान कुलाधिपति के पद को लेकर वोटिंग की नौबत आ गयी. विपक्षी दल की तरफ से कई कटौती प्रस्ताव पेश किये गये थे. इसमें सीपीएम के अजय कुमार सिंह ने इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति (चांसलर) के पद पर मुख्यमंत्री के स्थान पर राज्यपाल को बनाने का प्रस्ताव पेश किया.
इस पर सभी हंगामा करते हुए इसे लागू कराने की मांग करने लगे. पहले तो अध्यक्ष ने सामान्य तरीके से हां और ना में वोटिंग कराकर इस प्रस्ताव के अस्वीकृत होने की घोषणा कर दी. लेकिन, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मांग पर वोटिंग करायी गयी. अध्यक्ष ने घोषणा की, इस प्रस्ताव के पक्ष में 89 और विपक्ष में 110 वोट पड़े हैं.
इस तरह से यह प्रस्ताव 21 मतों से अस्वीकृत हो गया और मुख्यमंत्री के ही इस विश्वविद्यालय के चांसलर बने रहने का प्रस्ताव पास हो गया. इसके बाद भाई वीरेंद्र ने कहा कि नियमावली के अनुसार सत्तापक्ष में 119 सदस्य होने चाहिए, उधर बहुमत नहीं है. फिर तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर ऐसा है, तो नियमावली की चेक करवा लें.
Posted by Ashish Jha