बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में गठित नई एनडीए सरकार के विश्वास मत से पहले एनडीए विधायकों को मंत्री पद और दस-दस करोड़ रुपये का प्रलोभन देकर महागठबंधन के पाले में लाने के आरोपों की जांच अब आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने संभाल ली है. इस संबंध में मधुबनी के हरलाखी से जदयू विधायक सुधांशु शेखर ने 11 फरवरी को पटना के कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
EOU को सौंपी गई जिम्मेदारी
पुलिस मुख्यालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए हफ्ते दिन बाद भी जांच में कोई प्रगति नहीं होने पर जांच की जिम्मेदारी पटना पुलिस से लेकर इओयू को सौंप दी है. इओयू ने जांच की कमान संभालते हुए पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) रैंक के अफसर को अनुसंधान पदाधिकारी (आइओ) बनाया है.
आरोपितों से जल्द होगी पूछताछ
सूत्रों के अुनसार, इओयू जल्द ही इस मामले में आरोपितों से मिलकर उनका पक्ष ले सकती है. इसके साथ ही जदयू विधायक सुधांशु कुमार ने जिन-जिन विधायकों और राजद नेताओं का उल्लेख प्राथमिकी में किया है, उनसे बारी-बारी से पूछताछ की जा सकती है. तकनीकी जांच के दौरान आरोपों के सत्यता की जांच को लेकर संबंधितों के मोबाइल फोन आदि की भी जांच किए जाने की संभावना है.
जदयू विधायक ने दर्ज कराई थी प्राथमिकी
जदयू विधायक सुधांशु कुमार ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि नौ फरवरी को उनके हाजीपुर में रहने वाले रिश्तेदार रणजीत कुमार ने व्हाट्सप्प काल किया था. उन्होंने बताया कि इंजीनियर सुनील कुमार आये हैं और बात करना चाहते हैं. बात करने पर इ सुनील कुमार ने कहा कि आप महागठबंधन के साथ आ जाइए. अभी पांच करोड़ दे देते हैं और पांच करोड़ काम होने के बाद देंगे. नहीं तो मंत्री पद ले लीजिए. जदयू विधायक ने सोचकर बताते हैं कहकर बात टाल दी.
प्राथमिकी में दर्ज है यह मामला
विधायक सुधांशु ने बताया कि अगले दिन सुबह पूर्व मंत्री नागमणि कुशवाहा के नंबर से वाट्सएप काल आया कि अखिलेश जी आपसे बात करना चाहते हैं, जल्द ही संपर्क करेंगे. एक घंटे के बाद इंटरनेट काल आया. फोन करने वाले ने अपना नाम अखिलेश और खुद को राहुल गांधी का करीबी बताया. उसने भी कहा कि आप साथ आ जाइए, इसके बदले जो डिमांड होगा, पूरा किया जायेगा.
सुधांशु कुमार ने आरोप लगाया कि हिलसा से उनके साथी विधायक कृष्ण मुरारी शरण को भी राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने एक आदमी से मिलने को कहा. उस आदमी ने विश्वासमत में राजद के पक्ष में वोट करने पर मंत्री पद या जितना पैसा मांगा जायेगा, उसे देने का प्रलोभन दिया था. उन्होंने विधायक निरंजन कुमार मेहता को भी राजद के पक्ष में वोट देने का प्रलोभन और धमकी मिलने की शिकायत प्राथमिकी में दर्ज करायी है.
इस पूरे प्रकरण में सुधांशु कुमार ने जदयू के ही परबत्ता विधायक डा. संजीव कुमार की भूमिका भी संदिग्ध बतायी है. उन्होंने जदयू विधायक डा. संजीव और राजद से जुड़े इ सुनील कुमार पर अपने सहयोगियों के माध्यम से विधायक बीमा भारती और दिलीप राय को डरा-धमकाकर अपहरण करने की शिकायत भी दर्ज करायी थी, ताकि दोनों महागठबंधन के पक्ष में मतदान करें.